तुलसी सूक्ति सुधा | Tulasi Sukti Sudha

Tulasi Sukti Sudha by गोस्वामी तुलसीदास - Goswami Tulsidasवियोगी हरि - Viyogi Hari

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गोस्वामी तुलसीदास - Goswami Tulsidas

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वियोगी हरि - Viyogi Hari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( न. ) अध्यात्म-विन्दु-इस विमल बिन्दु में ब्रह्म, माया, जीच, अब - तार, विराट झादि का निरूपण किया गया है । सगुण और निर्गुण में, त्रह्म आर पूर्णश्रह्म राम में, जीव और ईश्वर में क्या सेद है इस पर गोसाइंजी की कई खुली इुई सूक्तियों का संकलन हमने इस विन्डु में किया है । गोसाइंजी का दाशंनिक ज्ञान किस असाधारण कोटि का था, इस का पता उनकी प्रायः प्रत्येक रचसा में मिलता है । मद्देत, हैत, ड्लेताद्रेत झादि वेदान्त-मतों का प्रतिपादन कर: छुकने पर भी सिवा गोसाइंजी के श्ौर किस दुर्शन-शास्त्रीने यह अनुभव- गम्य सिद्धान्त लिखा है -- कोउ कह सत्य, झूठ कह कोऊ, जुगल प्रबल करि माने | तुलसिदास परिहरे . तीनि भ्रम, सो आपन पहिचाने | रामचरित मानस ओर विनय-पत्रिका में झध्यात्मवाद का प्रच्ु- रता के साथ निरूपण किया गया है । वैराग्य संदीपनी से भी इस बिन्दु में कई सूक्तियाँ ली है । माया का निरुपण तो गोसाइंजी का इतने पते का है, कि कुछ पूछिए नहीं । झनेक प्रकार से भापने विश्व-बैचिन््य, मोह-निद््शन एवं भ्रमवाद का सरख दार्शनिक निरूपण किया है । माया-परिवार की करूपना तो झ्रापकी अनोखी ही है । सानस-रोगों दी तालिकां भी आपने अनूठी दो है । साधन-विन्दु-साघन-घाम क्या है, मुक्ति-लाभके छन्य साधन क्या हैं, रामनाम-स्मरण क्यों अन्य सब साधनों से खुगस श्र श्रेष्ठ है, भक्ति, प्रेम-परा भक्ति, भक्ति ओर ज्ञान, शान्ति इत्यादि का अध्यात्मचाद में क्या स्थान है, इन सबका विवेचन तथा ज्ञान-दीपक एवं मगवत्कपा का सुन्दर निरूपण जिन सूक्तियों के द्वारा गोसाइंजीने अपने महिमामय




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