वे दिन वे लोग | Ve Din Ve Log
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ :
2 MB
कुल पृष्ठ :
174
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्वर्गीय प्रजताइधपसहाय 'प्रजबसतमो २
सकते मस्त ठुपकृछाजी और मिक्य-पुर्मों दी जीवतियाँशिली भी।
शुरूमौदासजी फौ दृह्त् जीवसी को पुर संधोषित करके बह छोड पए भ
दिसका शया सस्क्ररण बिहार राश्मापान्यरिपर् (पतल््मा) से प्रकासित
होनदाला है। पश्लागा है दि उनकी लिखी माेस्दुजी की जोबनौ मी
परिषद् से पुन प्रकारित होती । उनरी शियी जपकशाडी की जीवसो
भाग मौ सया संस्करण पटशा वी ण्पयकषा-समिसि से निकला है। उसम
उस्हाने सन् १६१२ हक दा ही जीगस-यूल सिखा दा । क्लथु सध् १६१०
के बाद सत् १६३२ शक का जीवस-दृष्ठ परता हाईकोर्ट के शेड्गोदेट
शी अध्याबट्टारी एरणजी से खिखशए पूरा कर दिया है क्योंकि रूपकणा
जौ सद् १६॥२ है बे! मभाएम्य में ही साउेशबासी हुए थे । उक्ण शरभडी
भी गत अहस्स (सन् 1३६७) से सावेखदासी हो गए । बह भौ झाश-
निबासी हो पे । उसके सांप प्रजबस्कमजी दी घती मँत्री थी। दोर्सी
पष्दोजी थ और परम गममस््त भी ।
औिरदासरम! जी का धूछ निद्यामस््पान मश्लियारपुर (अदशायाँतर)
जामडक़् धषि पा जो शारा जगर से एक-शेढ कोप हुए परिषिम में है। बह
जगौ-मानी शायस्पों श्री प्रशिद्ध बस्ती है। बही से उससे पूर्जड आरा
है बजूबाशर मुहम्श में मा बसे े। रखहे पिला पटना कै सशकारी
मडग्जी एलर म हिम्दी-बनुबालक प1 झत उसबी शिक्षा पट्या-म्पिण
दो एथ० (डिद्ाए मेंसपक्त) बॉनज मे हुई थो । जिम संजय बा शी०
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सम्पाध्त करते थे। उस पत्रिका के संबाबड थे पटता मिटी के हरि
मखिर के प्रषातापिप्याता बाजार मुर्गमह पाट्इशादा ( आबा खुमेरसिर
भौ ह्ष्वीजरदि ये। उम्होंने थौ। शिब्ससत्र सहायजी का परच्रिद्यान्मम्या
हट बठाया था क्योंरि शिगमस्दन सहापजी माय झधाही पर्व क झनुरारी
दे। एड मार आरा के सके विवास-स्थान पर डे) खमाराहू में सु
गाविश्निलू की अकवो माई गई थौ डिसदें रंयर रूप भापोशप हका
था और हिस्दी के रश्मासरष्य यदाकबि पहिल पोष्पासिद उपाध्यय
फणिप भ्ाम॑जिए होहर झाए बे। उस घमय उस पंहितर्या के छा
को जी फयर का प्रखा” पांडे वा धुदाद मिला बा। जब शिवनम्धद
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