तीर्थ विधान पद्धति | Tirth Vidhan Paddhatti

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Tirth Vidhan Paddhatti by विश्वनाथ शर्मा - Vishwanath Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[5४ ॥ में लॉन द्ोोजाना दया शोलता क्षमता दानता आदि का दवोनां सुलभ दोजाता है. | जिससे वढ॒ तीर्थ यात्री अपने स्व प्रकार के पापों से तैर कर इस संसार सागर से भ्ो पार दोकर अन्त में स्वर्ग सुख का अनुभव करने लगता है । इन्दी तीथों से मनुष्य के लिये विशेष सद्य ल्भादिक फन कहे गये हैं । इसी काग्ण ज्ञानि महूपियों ने तथा अबतारी पुरुषों ने पीथों का ज्ञान मद्दात्म स्थापित किया है। अतः एव पूर्व काल मे दही विरक्त ज्ञानी पुरुष वड्ो ऊ्रेदार काशी आदि तीथों मे यागन्ना ( दरद्वार ) के एकान्त स्थान में निवास करते हैं । इन विरक्त ज्ञानी तथा उत्तम कोटि के धार्मिकों से भिन्न मध्यम कोटिके साधारण मलुष्य बहुत से हैं। उन सत्र के लिये तीथं सेवन सबसे अधिकतर उपयोगी दे जिसका होना पूर्वा पुराय के अनुशार स्थि( है। ब्रह्म पुराण मै लिया है कि--यो य क्‍-शि्चि त्तोथ॑ यात्रा गच्छेतू । सु सयतः ख च॑ पूर्व भद्दे स्त्रे इतो बांस शुचिर अमृत सं पूजयेद भक्ति रसादू गणेशम्‌ ॥ देवान्‌ पितृन्‌ ब्राह्मणान्‌ पूजयेच एवं झुर्वतस्तस्थ च्वीर्ये यदुक्त फल तस्स्या ज्ञान सन्देहं एवं इत्यादि अनेक शास्त्रों से कथित तीथें सम्बधी कत्तंव्य कर्मों की विद्वित ता होने से तदनुसार तीर्थ यात्रा करने से मुख्य शुभ फल मिलता दै। अत. में अपनोमभुत पूष लिग्यित तीर्थ कर्म पद्धति की पूरे य्रुटियों को न्‍्यूनाधिक रूप स सथा उक्त पद्धति के प्रथम सस्कर गोय प्रकाशक मद्दोदय ने पद्धति लैगरफ के अलिण्पित भरमाणों से भूमिका लेखक के साथ अप्रिय शब्दों का उल्लेख क्या उसके लिय उक्त पद्धति के लेखक को अमान्य हुये । जिसके कारण दक्त महोदय कीं आज्ञा का पालन कर पूत्र पद्धति की सदी चुठियों को म्यूमाबिक रूप से यथा ( अवशिष्ट कर्मों ) द्रिधः इस द्वितीय संसऋरण तोर्थ विधान नामक पद्ध तिक्नो पिम्ततकिया जो सभी पुरोद्दिताई कर्म कराने बालों के लिये अत्यन्त ही उपयोगी रहेगी। पद्धति का प्रफकाशित करने का अधिकार सप्रद उर्ता को ही रहेगा यर्याष आजर्कल तीथों में प्रचल्तित कम्मोंके फरने थाली बहुत पद्धतियों प्रकाशित द्वोगई हैँ और दो रही हैं. फिन्‍्तु ये कोई तो बिस्यत श्रोर कोई सक्तिप्त होने के कारण वर्म्म कराने में बन पुरोहितादियों को विशेष सीकर्य नहीं प्रतीत इ ता है और अथ इस पद्मति से मुझे पूण विवश्यास हैं छि सभी कम कराने याले पुरोहितों की यद पटनाईयां दूर करदी गई यदि संप्रद्द करते हुये तथा प्रेश द्वारा भी जुदियां रहगई हा तो पिद्जनन सूचित यर कमा करेंगे ; यहां पर




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