भारतवर्ष के लिए स्वराज्य | Shree Man Gokhale Ke Vyakhayan

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Shree Man Gokhale Ke Vyakhayan by श्री निवासजी जैन शास्त्री - Shri Nivasji Jain Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ीआ। प्रिय थी, लिसका एक निमिप मात्र भी भारत फे चरणाँ में न समपिंत दी । श्रीमदी सरोजनी नायडक्‍़ फे शब्दों में, मातम मि उनकी स्वामिनी और माता, हृदय री पूज्य देवी और प्रिय तप्र पुत्रों थी। उनके लिए इससे यढकर कोई दूसरा खुस नहीं था कि भारत का घिभव बढ़े | उनके जीवन फी एकमात्र यही ल्‍लालखा थी मि अपना हदय, तन, मात और घत उसी के लिए श्रीयरणों में धरा के साथ अपंण करें। इसके सामने उनके दूसरे सामान या खुख, घिभव या फोतति, अपमान या पराजय सय क्षुद्र थे वद्द सारत थे सेवक थे, और ससार में इससे यढकर किसी भारतयाप्ती फे छिए अधिक क्‍या छहा जा सफ्ता टै। | उनका आतल्मसमपंण और त्याग । उनकी देश में तल्लीनता साधारण आदमियो के रूपदरेशा जुराग फी तरद मज्ञाक या छुट्टी फे समय दि यहलाने फी बात न थो। यद थद्द जानते थे वि असे भारत के प्राच्चोन इतिहास में ईश्घवर फी खराज्ञ में धुव ने और सत्यगन की रद्ा में यम का पीछा करती हुई सावितों ने संसार और जीवन के तिलाजन्ि दे रो, बेसे दी आधुनिक समय में धुय का स्याग, सायियी की छान प्रह्द शा आत्मसमपण और रुत्मण फी फार्यक्षमता देश २क्त के त्प्ए आवश्यक हैं। तप ओऔर त्याग दमारे ज्ञातीय दतितास में सरसे अधिरक श्रशशित है और प्राचोत भारत की भरिना के निर्माता पूज्य ऋषि और मुनि प्रस्ति के जीतो के लिए इन्हीं साधने फा आश्रय लेने थे। जे अब भारत भे उत्थात का वीडा। उठाते हैं उनके भी हट? की बछि देंगे पे लिए तेयाए रदता चाहिये 1 गोखटड़े ने क |




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