यामा | Yaama

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Yaama by श्री महादेवी वर्मा - Shri Mahadevi Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निशा की थो. देता. राकदा चांदनी में जब अलके खोल कली से कहता था. मधुमास बता दो मधुमदिरा का मोल झटक जाता था पागल बात धूलि में तृहिन-कर्णों के हार बिद्धातों थी सपनों के. जाल सिखाने जीवन का संगीत नुम्हारी वह करुणा को कोर सभी तुम लाये थे इस पाश है गई बह अधरों की. मुस्कान मुक्त मधूमय पीड़ा ये. बोर भूलती थी में सोख राग बिछधलत थे. कर बारम्बार गए तब से कितने यूग बीत तुम्हें तब॑भाता था. करुणेशा हुए फितने दोपक निर्वाण उन्दी मेरी भूठों पर प्यार नहीं पर मेने पाया. सीख तुम्हारा सा मनमोहन गान । नहीं अब गाया जाता. देव थकी अंगुली है ढीलें. तार विष्वदीणा में अपनी आज मिला को यह अस्फूट झुंकार




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