श्राद्ध | Shraaddh

Shraaddh by नैष्टिक ब्रह्मचारी महात्मा - Naishtika Brahmachari Mahatma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ६ ) विंधातिक धर्म किये जाते हैं या वे पापी मित्र जानें जिन्होंने पीठे ठोक कर इंमारे चरिब्नायक का सर्वर माश किया । यह हे धाजे कल के थम की करवूत भरें थम का स्वरूप . थेसे धमे को या ते भाप पूर्वोक्त हैजा कह सके हैं या दशोसला कद सक्ते हैं कि जिसमें सत्यवक्ता धर सत्यद्शाओं के लिये तो सचे धर्म का एक भी परिमाणु नददीं है। श्राप ऐसे धर्म के किसी मी पहलू को देख लीजिये उन सब में उपरोक्त दो इन्द्रियों का ही प्रभानस्व मिठेगा । झाज कल यद्दी एक धर्म का तत्व ९६ गया है । इसी वात को स्पष्ट करने के देतु श्रोमू झाज मृतक श्वात्माों के साथ में होने वाले धर्म का स्वरूप दी दिखावेगा श्रौर भाशा है पाठक इसे ध्यान से पढ़ कर इसको सत्य की कसोटी पर करेंगे । यदि धमे के मात्र पइलुभ्ों पर लिखने की चेषा की जाय तो शायद वह भाकाश दं इन के सदर दी निष्फल होगी। इसी झभिप्राय से यददां एक दी विषय को लिया जाता है जिस पर लाखों नहीं बल्कि करोड़ों -करोड़ों नहीं भ्रपितु श्रवों का दी




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