मार्कन्डेय पुराण | Markandeya Purana

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Markandeya Purana by भगवानदास अवस्थी - Bhagwandas Avsthi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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'्ाइ्प्रागकरिक: ५4... सार्कण्डेय पुराण... [ अध्यायरेदे वरस्य आश्रम में ले आये श्र यत्र पूबक उन का छालन बालन करने लगे । कुछ समय बाद बच्चे बड़े हुये और उड़ कर सर्यके रथ तक जा पहुंचे । सूर्य देव के प्रभाव से उन्हें पूर्व शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति हुई । वें नद,नदी, समुद्र बन,पर्वत आदि को देखतें हुए फिर श्पने आश्रम में लौट आये और शमीक ऋषि को प्रशाम कर मनुष्यों की वाणी में घुद्ध-स्पष्ट दाब्दों में बोले--'झाप ने हमारे श्राण बड़े संकट के समय बचाये हैं । फिर हमें पाल-पोस कर बड़े . यत्न से बड़ा किया । झाप का हमार ऊपर बड़ा उपकार है। आ्ाज्ञा दीजिये कि इम झाप की क्या सेवा करें! _..... ... पक्षियों के बच्चों के इस प्रकार शुद्ध, स्पष्ट, बुद्धिविषेक- _ युक्त वचन सुन कर सबको बड़ा आइचये हुआ । ऋषि ने उनसे पूर्व-जन्म का इतांत और पक्षि-योनि में जन्म देने : का कारण पूछा । बच बोले-'प्राचीन समय में विपुल- _स्वान नामक महानुभाव के सुक़श श्र तुम्बुरू नामक दी.




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