व्रत वैभव - भाग 2 | Brat Vaibhav - Vol 2

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Brat Vaibhav - Vol 2  by जयकुमार 'निशांत' - Jaikumar 'Nishant'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(14ए) करना संभव नहीं है, क्योंकि उन्होंने अपने व्यस्ततम क्ष्णों में पूर्ण समर्पण के साथ ग्रन्थ को आकार देने में जो सहयोग दिया अद्वितीय है। मनीष जैनसंजू) एक ऐसे युवा होनहार समर्पित मनीषी हैं जिन्होंने सदैव निष्ठा के साथ कार्य किया है साथ ही अनेकान्त परिवार की बहिनों ने प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से इसकी संयोजना में अपना बहुमूल्य समय दिया है। अक्षर सयोजन में दीपक जैन (ए.व्ही.एस कम्प्यूटर) एव मुद्रण में श्री नीरज जैन (दिगम्बर) का सहयोग सराहनीय है जिन्होंने अल्प समय में अथक श्रम करके ग्रन्थ जन सामान्य तक सुलभ कराया है। इसके साथ ही हम डॉ सुरेन्द्र जैन पठा, अभिनन्दन साधेलिय के हृदय से आभारी हैं क्योंकि उन्होंने अपने उपयोगी क्षणों से भी समय निकालकर हमें कृतार्थ किया है। आशा है कि यह ग्रन्थ श्रावकों को मुक्तिपथ में पाधेय बनेगा । -ब्र. विनोद जैन (पपौरा) पं. विनोद जैन (रजवांस)




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