चीड़ों पर चाँदनी | Cheedon Par Chandni

Cheedon Par Chandni by निर्मल वर्मा - Nirmal Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उनके कृतित्वके सम्बन्धमें शायद पूरी तरहसे आइवस्त नहीं । शीत-पुद्धका रुगण वातावरण एक महानू लेखकके इद-गिर्द कितना उपदासास्पद विरोधाभास निर्मित कर सकता हैं ब्रेस़्त इसके सजीव उदाहरण हैं । युद्धके उपरान्त उन्होंने पूर्वी जर्मनीमें रहना स्वीकार किया - यह एक़ ऐसा तथ्य हैं जो आज हमें बलिन-प्रइन की पृष्ठभूमि समझनेमें बहुत कुछ सहा- थक हो सकता हैं । १९४९में अपनी पत्नी हैलेन बेगेल जो खुद एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हू के संग ब्रेख़्तने पूर्वी-बलिनमें बलिन-एन्सेम्बल की स्थापना की । आज ब्रे्त जीवित नहीं हैं किन्तु हैठेन वेगेलके निर्देशनमें उनका जादुई-स्पर्श आज भी पूर्ववत्तु स्पत्दित होता है । आज यह अनहोनी-सी बात लगती है किन्तु उस रात जिस अजीब परिस्थितिमें हे वेंगेलसे मुलाक़ात हुई बह एक विचित्र अप्रत्याशित घटना थी । हम थिएटर - अपनी भागदौीड़के बावजूद - पन्द्रह-बीस मिनिट देर- से पहुंचे । इसका हमें खेद अवदय था किन्तु ज्यादा दुःख नहीं क्योंकि उस रात ब्रेख्तका नाटक फ़ियर ऐण्ड मिज़री आँव थर्ड रायख दिखाया जा रहा था । यह नाटक अनेक छोटे-छोटे नाट्य-खण्डोंसे संयोजित है जिसमें हिंटलर-जर्मनीका भयंकर वातावरण चित्रित हुआ है । हर नाट्य- खण्ड अपनेसें स्वतस्त्र हैं और उनका रसास्वादन हम पिछले खण्डोंको देखें बिना भी कर सकते हूँ । याद नहीं आता हम कौन-से टेटे-मेढ्रे रास्तों और गलियोंसे होते हुए वलिन-एन्सेम्बल पहुँचे । पूर्वी बलिनका यह भाग जहाँ थिएटर हैं बहुत उजड़ा-सा और वीरान दिखता हू । युरँंपके सबसे क्रान्तिकारी थिएटरकी इमारत इतनी सादी और साधारण होगी यह अपनेमें एक दिक्षाप्रद चीज़ थी । ब्रेच्तने अपने थिएटरके लिए स्वयं यह स्थान चुना था । चूक चीड़ोपर चाँदनी




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