लोकप्रिय इतिहास - काव्य और पुराण | Lokpriya Itihas - Kavya Or Puran

Prachin Bhartiya Sahitya Part1 by प्रोफेशर विंटरनित्ज़ - Profesher Viternitz

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लोकप्रिय इतिद्ाख--काव्य ओर पुराण ५ इतिहास-कविताएँ सुरक्षित चली आती थी। शायद इतिहास-कान्य त्रियो के साथ नजदीकी सम्बन्ध रखने वाले भायों की मण्डली में ही उत्पन्न हुओ होगा | इनके अलावा घुमन्तू गायक भी होते थे जिन्हे कुशील्व कहते थे | ये गीतो को याद करके वाद्य के साथ छोगो मे गाया करते थे। इन्ही के कारण जनता में वीर-गीतों का प्रचार हुआ | रामायण मे वर्णित है (भछे ही बाद के प्रक्षिप्त अंश में)' कि कैसे राम के दोनो पुत्र श ओर र्व घुमन्तू गायकों की तरह धूमा करते थे ओर लोगो की सभाओं मे कवि वात्मीकि की कवित्ताओं को रटकरः गाया करते थे 1 | জিন महामारत ओर रामायण को हम भारतीयों के लोकप्रिय इतिहास-काव्य के नाम से जानते है वे प्राचीन दरवारी गायको और घुमन्तू भागे द्वारा अपने वर्तमान रूप मे नहीं गाए जाते रहे | महाकवियों या कम से कम उन चढुर सग्रहकर्ताओं द्वारा, जिनमे कविता की थोड़ी-बहुत प्रतिभा रही होगी, ये एकाकार रूप में सगहीत नहीं किए, गए; | पर इनमे लगातार प्रक्षेगो और परिबतंनी के कारण शताब्दियो के दौरान असमान मूल्य वाली कविताएँ, एकत्र होती गई | यद्यपि इन दोनो इतियो के केन्द्र प्राचीन वीर-गीत हैं त्थापि भक्ति-परक इतिहास-साहित्य इनमें इतना सम्मिलित कर दिया गया, रूम्बी धार्मिक, नैतिक कविताओं को इसमें इतना अधिक घुसा दिया गया कि विशेषकर महाभारत का तो इतिहास-काव्यत्व ही प्राय नष्ट हो गया । महाभारत क्या है £ बड़े सीमित अर्थ मे ही हम महाभारत को “इतिहासः ओर काव्यः कह सकते 21161806 011)03 [91115 19155 ४० 62 टिप्पणी से राजपुत्ताना के आधुनिक भाठों को तुछना सूतो से करते हैं। आज के भादों ओर अन्य गायको के वारे से লি 13, 0.109101016১ 11199 14989009 ০0৫8170910১ ৬০], ] (1684) ए० भवा, तथा ^. ए81068 ए 00 भ (अ पत) 188 11, 8, 1919) ए० 86 आ० । ৭, লি০ 4১ 47010500807) 1088 11802500859, ] ०64 आ०, 68 আআ | प, १९५०701, {298 738008,) 8709) ছু 071 २. 1, 4 । ३. महासारत के विपय के वारे मे सूचना ऊ छिए सबसे अच्छी सहायता ति, ¶९6०0, [19080022 [001९1084 ९806) [त पत्‌ ह0प्ग तश्चा वल 10911068961 0100. 730201)90) 4১085879905 18070 1908 से मिर सकती है | महाभारत की समस्याओं के लिए विशेषतः दे° ए. ५, ०0108; 06 ७169 0950 ०17१9, [8 एस्‍क79 1७7 226. 011९171, 3७ ४०४९ 19011 प्रचुर पर दुर्भाग्य से विशालकाय विपय- অহ 4১, 17012100800) 1095 0125757005729, 000. 5996 789




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