अहिंसा पर्यवेक्षण | Ahinsa Paryavekshan

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Ahinsa Paryavekshan by मुनि नगराज - Muni Nagraj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(८१३) शरनुकम्पा दानव घमरदान जनाचार्यो दारा लोक प्रवाह को मोड सादागाह द्वारा मोशाभिमुस भट्िसि पर बल अहिसा रवरूप का विकास था दिपर्यास साहित्य म॑ रागात्मक तत्त्वा का झाविरमाब साहित्य से राष्ट्रीय जागृति के क्षत्र में उपयोगिता के साथ यपाथता वा निवाह प्रपेक्षित परहिता और धम का प्रयोजन ऋतंदर्णी प्राचाय्ो সিহত निष्ठा भौर परिभाषा घम वी वसौटी--प्रापा और रापम अविभकत प्रहिया परम कारुंणिक ते एक टिय जोवो ने बय बहा था ?ै मात्य याय सामाजितर जावत वी झपेशा मे स्थावर प्रहिसा वा विवेव' धम के दो स्वकृप--प्राधिमोतिक झोौर झ्ाध्यात्मिक धम ध्ा* वा प्रयोग एक समस्या হামা মাধী ঈ হাত प्रयाग বিলব झौर धम का उमयात्मव स्वरूप सौरिक घम ग्नौर लोकोत्तर घम कौ विभर्ि সবজি श्रौर निवत्तिकामर्मावतमाग धमवेदोविमाग হুদ গীত হাম জী परस एक स तुलित নীমল-ব লি तक झौर चितन के राजपथ पर विवेचन की परिप्राटी जीवन सराय वा बसरा नय जविन-दान का ज्यतत प्रान समाज घारण व आधार मूत्र तिहेतुक' भव হও দিক ६० ६९ ६२ ६६ ७०७४८ ७८ ८८




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