प्राथमिक सहायता | Praathamik Sahaayataa

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Praathamik Sahaayataa by एस० एस० भरारा - S. S. Bharara

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about एस० एस० भरारा - S. S. Bharara

Add Infomation AboutS. S. Bharara

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
११ 07 &44€1 {11688} जिसे शल्य-चिकित्सक मेजर पोटर शेफडं (1662 81061614 4.8.) ने रचा था | इंग्लेण्ड मे प्रथम बार सेट जान एम्बुलेस एसोसिएशन ने १८७९ में “प्रथम सहायता को शब्दावलो को शासकोय रूप मे अपनाया । “प्रथम सहायक ` का शब्दं १८९४ तक नहीं कहा जाता था । अब इसके अर्थं यह्‌ ह कि कोई व्यक्ति जिस ने किसौ अधिकृत संस्था से प्रमाणपत्र प्राप्त किया हैं वह प्रथम सहायता देने के योग्य है ।” एसोसिएशन के वार्षिक प्रतिवेदन मेँ प्रथम बार १८८० मे “घायल की प्रथम सहायता” को शब्द समुदाय के रूप मे कहा गया । १८८२ में हर रायेर हार्ईनेस भिन्मेस क्रिस्वियन (0০7 ६0४९] 11111688 1110688 (1718 ) जौ मक्का विक्टोरिया को बेटी थी ने आचार्य एसमाकं (1{>0168807 2818010} के पांच एम्बूकेस व्या यान का जर्मन भाषा से अनुवाद अंग्रेजी में किया और स्मिथ एल्डर एण्ड को ० (87170 8119০ & (0.) ने उसे घायल की प्रथम सहायता” के नामलेख के अन्तरगत प्रकाशित किया । इसे एसोसिएशन ने सहायक संक्षिप्त पुस्तक के रूप में प्रयोग किया । १८८५ में एसोसिएशन की अपनी पुस्तक का पुनः सशोधन चिकित्सक राबट ब्रुस ने किया जिसका नाम- लेख भी “घायल की प्रथम सहायता ही रखा गया जिस नाम से वह आज तक जानी जाती है । इसी बीच में स्काटलेण्ड में १८८२ में सेंट एन्ड्यूजू एसोसिएशन की स्थापना की गई ताकि “युद्ध या शान्ति के काल में रोगियों तथा घायलों को आराम पहुचाने के कार्य मे शिक्षा देने के सकल्प कौ प्रोत्साहित कियां जा सके । सेंट एन्ड्यूज एम्बूलेंस एसोसिएशन स्वर्गवासी सर जार बोटसन की आभारी हू, जिन्होंने प्रथम सहायता को शिक्षा सम्बन्धी पहली संक्षिप्त पुस्तक लिखी जिसका प्रकाशन १८९१ में हुआ और उसे उन्होंने अपनी शासकीय सिद्धान्त पुस्तकं माना ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now