क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ | Kya Main Andar Aa Sakta Hun

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Kya Main Andar Aa Sakta Hun by श्री रावी - Sri Raavi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मुझे भी कहना है ११ इस स्वप्नका श्रथ क्या था ? स्वरप्नोका क्या कूठ प्रथ भी हुआ करता है ? स्वप्नोंका कुछ ग्रर्थ होता हो या न होता हो, इतना भ्रवश्य है कि कु स्वप्न सुन्दर होते है--उन स्वप्नोको देखते समय सुख मिलता है श्रौर उनकी यादकी मिठास भी कुछ समय तक बनी रहती है । कुछ स्वप्नोसे देखनेवाले को कभी-कभी सोचनेके लिए कुछ कामका मसाला भी मिल जाता है । जिन तीन व्यक्तियोंको इस आदमीने दूसरे स्वप्नमें देखा उन्हें वह पहले- से ही जानता था, उनके कृपा-पूर्ण सम्पर्कमें झानेकी कभी-कभी उसने कुछ कामना भी की थी श्रौर उनके सम्पकको श्रपना सबसे बड़ा सुख और सौभाग्य मान सकता था । इनके निकट सम्पकंको यह्‌ সনি दुलभ भी मानता था । उन तीनों मूतियोकी याद करते-करते वहू कं देरके लिए बिछौनेपर पड़ा हुआ एक गहरे सुखमं नहा उठा । और तब उसे ध्यान आया कि वह केवल एक सपना ही था । वह केवल एक झूठा दृश्य ही था, इस बातकी उसके मनमें एक टीस भी कसक उठी ॥ निस्संदेह, इससे उसके मनको एकं पीडा भी हु ई । वह सोचने लगा--क्या यह बिलकुल श्रसम्भव है कि वह्‌ सुन्दरी सचमुच उससे कुछ प्रेम करती हो या आगे कर सके; उस राज्याधिकारी- की कृपा-दुष्टि और उस सर्वेमान्य लोकनायककी सहृदय मित्रता उसे कभी प्राप्त हो सकती हो ! सोचते-सोचते उसके हृदयमें इन तीनोंके सम्परकंकी कामना स्पष्ट रूपसे जाग उठी । अचानक स्वप्नकी एक नई विशेषता उसकी स्मृतिमं कौंध उठी । पहले स्वप्नमें उसने केवल श्रावाज़ें सुनी थीं और जागकर उन श्रावाजोका श्रथ जानने श्रौर उनके बोलनेवालोका रूप देखनेकी कामना भी की थी । स्वप्न- की इस विदोषताका ध्यान श्राते ही हषं श्रौर भार्चयंकी एक भावना उसके हृदयमें उबल पड़ी । स्वप्नकी सार्थकतामें उसकी कुछ श्राशा-सी बंध गई । किसी सुन्दर स्वप्नको इच्छा करनेपर दुबारा देख सकना और इच्छा- नुसार ही उसकी कुछ गहराइयॉमें भी जा सकना एक भ्रत्यन्त सुखद श्रनुभव




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