छायावाद - युग | Chhayavad Yug

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Chhayavad Yug by डॉ शम्भूनाथ सिंह - Dr. Shambhunath Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ दवितीय खण्ड ] ` 4--छायावाद-युग की সুজ प्ृत्तियो [ प्रष्ठ ८६-१०६ | विस्मय की भावना, विद्रोह कौ भावना, श्रातमाभिव्यंजकता, सोन्धरय-मोध की अन्य भूमियाँ, व्यक्तिवाद और अहंबाद, कल्पना-लोक-और श्राध्यासिक स रष्ट्रीयता, सामाजिक वैषम्य का विरोध, निराशाबाद, रेन्धिकता । २-प्रेम-भावना [ पृष्ठ १०७-११६ ] ... विभिन्‍न युरग़ों की विषय वस्तु, छायावाद्‌ म विषय-संकोच) क़ौकिक प्रेम- भावना, श्राध्यात्मिक मरम-भावन्‌ | | ३-सीन्द्य-भावना और प्रकृति... [ पष्ठ १२०-१४० ] सीन्द्य की स्थिति, क्रोचे का सौन्दर्य सिद्धान्त, प्रकृति मे सौन्दर्यं की सोज, शुक्क जी भर प्रकृति, आलम्बनरूप में प्रकृति, उद्दीपनरूप में प्रकृति : परोक्ष की अभिव्यक्षि और आ्राभास के रुप्र में परोक्ष के प्रतिबिग्भ के रूप म पतीक के रूप में, संकेत: के रूप में | ४--सत्वचिन्तन | | [ ए्४ १४९-१६१ | भारतीय सांस्कृतिक चेतना का नैरन्तर्य, छायावाद चिन्तनधारा मै एकरूपता रभाव श्रदुत दशन, योग-दशन, विशिश्वाहैत, पुनर्जन्य और कर्म দানা, जगत की श्ननित्यता, श्रनन्त बेंदनां और कृषणा, आनन्दवाद, विश्वमान- . वतावाद और समन्वयवाद, सामाजिक यथाथवाद |... अ+यथार्थ की ओर... . . [ए १६२-१८४ ] '(ड्रीयता की भावना, वर्ग-वैधम्य और वर्ग-संघर्ष;। अहंवाद के विविध-रूप निराशा, नियति ओर मृत्युभूजा; ऐन्द्रिकता और अश्लीज्ञता; अतीत में. पलायन | . | तृतीय खण्ड ] । १--रचना-प्रक्रिया न : [ पृष्ठ (७०२०३ ] शली, प्रेष्णीयता, शैली का मंनोवैज्ञानिक-विश्लेषण, भावना और कल्पना, মনা श्रौर तांदात्यज्नेध, कल्पना और शब्द, स्वप्न और कविता | ' हज शकाव्य क्रेरूप .. . 7. [ प्रष्ठ ००४-४११ ] `. लरड-काव्य और: महाकाव्य, गीतिकाव्य,.. सामूहिक गीत. और गायानीत;




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