मोहन विनोद | Mohan Vinod
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.39 MB
कुल पष्ठ :
247
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ कृष्णबिहारी मिश्र - Dr. Krishnbihari Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भी इन्हीं के समय में स्थापित हुआ । दीवानी एवं फौजदारी अदालतों सें योग्य और सुपठित लोगों की नियुक्ति की और इन्होंने राज्य भर के लिए भारत-सरकार से हाईकोर्ट के पूर्ण अधिकार प्राप्त किये । स्थानीय लासन-व्यवस्था के सिद्धांत प्रजा समझे और उस काम को चलाने में दरवार का हाथ बैँटावे इस विचार से हिज़ हाइनेस ने आधुनिक ढंग की म्युनिसिपेलिटी का भी प्रबंध किया है और उसमें गंर सरकारी सदस्यों का प्रभाव पूण रूप से रहने दिया है। महाजनों और साट्कारों के इ र आतंक से बचाने के लिये राज्य के किसानों के लिए एक एग्रीकलूचर बैक राजा साहब ने खुलवाया है। इसी प्रकार व्यापारियों के सुभीत के छिये व्यापारी बेंक भी खोला गया है। ग्रेनफण्ड की स्थापना भी प्रजा की भलाई के लिये की गई हू राजा रामसिह जी का व्यक्तिगत जीवन अत्यंत उज्ज्वल । उनके चरित्र में दढ़ता है । जिस कास को वे उठाते हैं पूरा करके छोड़ते हैँ। प्रत्येक काम का समय निर्दिष्ट है और निर्दिष्ट समय पर ही काम होता है । समाज की अनुचित रूढ़ियों और कुरीतियों को दूर करने का आप सेव प्रयत्त करते रहते हैं । राजपूत जाति पर आपका अपार प्रेम हैं और उसकी उन्नति के लिये सदैव कटिबद्ध रहते हें। अजमेर की भूतपुर्वे क्षत्रिय महासभा सें आपका सहयोग था । उसी महासभा में देंवाहिक कुरीतियाँ दूर करने का एक प्रस्ताव पास हुआ । अन्य वातों के साथ उसमें यह भी निश्चय था कि टीकाकसर की रस्म मे लड़कीवाल से जो बहुत-सा नक़द रुपया लिया जाता है वह न लिया जाय । राजा लक ९ जन
User Reviews
No Reviews | Add Yours...