विश्व - इतिहास - कोष | Encyclopedia Of World History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.05 MB
कुल पष्ठ :
328
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विश्व-इतिहास-कोष
प्रयम खएड
( अक्ारापि कम से )
[उठ
अकदर मददानू
( एन? घी10 (उठ
अकरर मदन प्गर साम्रास्य का इटिदास प्रसिद्ध
धारशाइ हुमायूं का पुत्र बादशाइ भावर का पोज, घस्म
सन् १५४२, राश्पारोइय सन् १९५६ मृत्यु सन् १९६ ५. ।
माय्तगर्प के मददान इतिदास में राबकौग देत्र के
झन्तगत जिठम महान म्यक्तित्व झपने प्रखर तेम से
चअमकते हुए. नजर आते हैं उनमें मुगक सप्राट भरकर
मी अपना एक प्रमुख समान रखते हैं । प॑ थवाइर खास
नेइर झपने “विद इतिहास को सम्क' मापक प्रस्थ मे
एक स्थान पर दिखते है: --
“पद एक झजीन भाव है डि ईसा के १. गए परे
का एज बोड एमाद और ईसा के बार सोजइवीं सदी का
एक पुस्डमान साय रोनों एक दी दंग ते शौर करौब-
करौद एक दी झावाज में बोघ रे हैं तास्षुव नहीं कि था
छुइ माग्त की दी झावाओ दो सो उसके दो मदाम पुत्री के
चिप दोष दी शो ।”
अझकपर का जम्म २८ दिसम्बर १६४२ को झायुनिक,
परिचमी, पाकिशान के झमरकोठ नायक स्वान में हुआ
था। २७ चनदरी सन १५९४६ के दिन देसी के पुराने
किले में सन्नाद_ हुमाएँ का देदास्त हुआ । ठस तमय
अर पंचाद में था । दुमाँ को मृत्यु की खबर पहुँचने
पर रेड फरपरी १९४६ को पुरुदयास पुर दिले के कशानोर
नामक दान में झददर को गद्दौनशीन कर दिया गया |
जिस समय अज़्बर की गद्दी लथीनी हुई उस समय
ठसकी उम्र केगस थौदइ गर्ष की थी । ' इसशिये बैरम सा
नामक सरदार को उसका संरघक बनाओ गया ।
हुंमायू के थीवन की झम्पबस्पा के कारण अकबर की
शिच्ा-दीधा का कोई प्रबन्न नहीं दो सका । रुसका संयम
अपिकतर लेय्न-तमाशी में ही निककता रहा मगर अचर
शान न दोने पर मी कर को शान प्रास करने की बेइद
बिशादा रददी । उसकी स्मरशुशक्ति बहुत तेज थी, थो मौ ब्त
बद पुनदा याद शे शाती थी । उस समय के प्रसिद्ध प्रस्पीं
में शादद दी कोई प्रन्म पेसा देगा थिसे उसने नहीं दुना
दो! प्यारसी साधा कौ पुश्तकें सममले में उसे कु
तकशीफ़ मदीं दोती थी । झरनी भर संकत के प्रन्भों आम
बैसे शाइनामा, मददामासत, सयमाबश इस्वादि का उसने
स्वयं झपने खिये फारसी मापा में झतुवाद करवाना था ।
धाम बिस्तार
जिस समय अकपर राजगददी पर बैठा उस समय मुग्झ
साब्राल्व की सश्तनत सिफे झागर से पंथाब तक ही सीमित
थी। बंगाब में पठानी का बोघगाढ़ा था । राजस्थान में
यबपूत रक्याडे स्वतम्मता का सपमौग कर रदे थे, मम्प-
प्रदेश में रानी हुगखंबती ऋा प्रताप उरूज पर था. साझा
में माप का छुश्ठान शासन कर गा था और शैरशाइ के
उत्तयनिकारी का प्रतिनिधि देमू अक्षबर के मुक्षले में पूरी
हैप्यारी के साप लड़ा हुआ था । देमू बड़ा ददापुर और,
साइसी था | उसमे बाइंस घड़ाइमीं में बिथयम पायी थी)
कदानोर में भरकर की गद्दीमशीनी के आद उसने ठद्दीं
बेग नामक सरदार को पंच इजारो मनसभ देऋर टिस्थौ झा
गबसंर निवुक्त छिपा । मगर देमू में झागरा भर दिश्लौ पर
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