साम्यवाद ही क्यों ? | Saamyavaad Hi Kyu ?
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.37 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चर
मनुष्यकी, उत्पत्ति श्र विकास | $
नेअ्ंड थे लमनुष्य उस समय भी मौजूद था, तो भी दोनॉका रक्त-
सम्मिश्रणु न दोना शायद नेश्रडथेलकी कुरूपता और वीमत्सताके कास्ण
हो । क्रोमेमन_म्नुष्य शिकारी था । एक प्रकारके छोटे घोड़े उसके
प्रधान खाद्य थे; जिनके कि लाखों कंकाल सोजुनन आदि स्थानोंमें मिले
हैं | स्पेनकी शुफाओंमें इनके बनाये अनेक चित्र भी हैं । ये चित्र बहुत
दी अँघेरी जयहमें हैं, जिससे पता लगता है कि, ये दीपकका भी प्रयोग
करना जान गये थे । बह सुर्देको दबाया करते थे, मिट्टीके खिलौने बना
लेते थे, किन्दु उन्हें वर्तन बनानेका शान न था । इससे श्रनुमान होता
है कि, अभी मास आदिको पकाकर वे खाना नहीं जानते थे । जिस समय
क्रोमेग्नन:जाति दक्षिण-पश्चिमीय यूरोपमें वास करती थी, उसी समय
रायपुर जिलेके सिंगनपुर तथा दूसरे प्रदेशोंमें भी आदमी निवास करते
थे | इन्दोंने भी अपनी गुफाओंमें असेक चित्र और छिले पाषाणोंके
दथियार छोड़े हैं । दोनोंके चित्रमे सिफ जंगली जानवरों तथा शिकारके
इश्य ही मिलते हैं, जिनसे मालूम दोता है, अभी इन्हें देवताओं और
धघर्मकी कल्पना नहीं हुई थी । शायद अभी वे माषाकों विकसित न कर
सके थे । भाषाके बिना परम्पस शऔर युरानी कथाओंको एफ पीढ़ीसे
दूसरी पीढीमें कैसे पहुँचाया जा सकता है ? परम्परा और कथाएँ दी तो
देवताओं श्र घ्मेकी सुष्टि करती हैं |
बारह हजार वर्ष पूर्व मनुष्योंमें एक नई प्रगति दिखाई पढ़ती
है। श्रव मनुष्य छिले पत्थरोंके दथियारके स्थानपर, घिसकर, चिकने
किये पत्थरके दृथियारोंका प्रयोग करता था । इसी कारण इस युगकों
नव पाषाणु युग (276०600 40० ) कहते हैं । इस युगके
साथ भूरे रगकी 'इवेरियन जाति ( द्रविड़-जाति, इसीकी एक शाखा कही
जाती है ) इस युगमें अगुा है । इस जातिका मूल स्थान भूमध्यसागर
को पार्वंवर्ती भूमि थी । चतु्े दिम-युगसे पूवे यह प्रदेश बहुत दी हरा-
भस था। झूमध्य-वासी भूरी-जाति तच तक अपनी भाषाकों किसी हृदतक
विकसित कर ज्लुकी थी | श्रागे चलकर उसकी सन्तान उत्तर, दक्षिण
ड्न
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