साम्यवाद ही क्यों ? | Saamyavaad Hi Kyu ?

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चर मनुष्यकी, उत्पत्ति श्र विकास | $ नेअ्ंड थे लमनुष्य उस समय भी मौजूद था, तो भी दोनॉका रक्त- सम्मिश्रणु न दोना शायद नेश्रडथेलकी कुरूपता और वीमत्सताके कास्ण हो । क्रोमेमन_म्नुष्य शिकारी था । एक प्रकारके छोटे घोड़े उसके प्रधान खाद्य थे; जिनके कि लाखों कंकाल सोजुनन आदि स्थानोंमें मिले हैं | स्पेनकी शुफाओंमें इनके बनाये अनेक चित्र भी हैं । ये चित्र बहुत दी अँघेरी जयहमें हैं, जिससे पता लगता है कि, ये दीपकका भी प्रयोग करना जान गये थे । बह सुर्देको दबाया करते थे, मिट्टीके खिलौने बना लेते थे, किन्दु उन्हें वर्तन बनानेका शान न था । इससे श्रनुमान होता है कि, अभी मास आदिको पकाकर वे खाना नहीं जानते थे । जिस समय क्रोमेग्नन:जाति दक्षिण-पश्चिमीय यूरोपमें वास करती थी, उसी समय रायपुर जिलेके सिंगनपुर तथा दूसरे प्रदेशोंमें भी आदमी निवास करते थे | इन्दोंने भी अपनी गुफाओंमें असेक चित्र और छिले पाषाणोंके दथियार छोड़े हैं । दोनोंके चित्रमे सिफ जंगली जानवरों तथा शिकारके इश्य ही मिलते हैं, जिनसे मालूम दोता है, अभी इन्हें देवताओं और धघर्मकी कल्पना नहीं हुई थी । शायद अभी वे माषाकों विकसित न कर सके थे । भाषाके बिना परम्पस शऔर युरानी कथाओंको एफ पीढ़ीसे दूसरी पीढीमें कैसे पहुँचाया जा सकता है ? परम्परा और कथाएँ दी तो देवताओं श्र घ्मेकी सुष्टि करती हैं | बारह हजार वर्ष पूर्व मनुष्योंमें एक नई प्रगति दिखाई पढ़ती है। श्रव मनुष्य छिले पत्थरोंके दथियारके स्थानपर, घिसकर, चिकने किये पत्थरके दृथियारोंका प्रयोग करता था । इसी कारण इस युगकों नव पाषाणु युग (276०600 40० ) कहते हैं । इस युगके साथ भूरे रगकी 'इवेरियन जाति ( द्रविड़-जाति, इसीकी एक शाखा कही जाती है ) इस युगमें अगुा है । इस जातिका मूल स्थान भूमध्यसागर को पार्वंवर्ती भूमि थी । चतु्े दिम-युगसे पूवे यह प्रदेश बहुत दी हरा- भस था। झूमध्य-वासी भूरी-जाति तच तक अपनी भाषाकों किसी हृदतक विकसित कर ज्लुकी थी | श्रागे चलकर उसकी सन्तान उत्तर, दक्षिण ड्न




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