विष और उपचार | Vish Aur Upachaar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.89 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ विष्णुदत्त शर्मा - Dr. Vishnudatt Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ऐतिहासिक महत्व / 17 बचा लिया । कुछ लोग यह भी मानते हैं कि इस अपूव सुन्दरी को जो ।सकन्दर के पास मेंजी गयी थी बचपन से ही अजगर के अप्डे के साथ रखवा दिया गया था । अजगर भी मादा उसको काफी दिन तक सेती रही गौर उसने उसको बढ़ी याहार दिया जो अन्य अजगर साते हैं। धीरे-धीरे वह बालिका बडी हुई लेकिन साप थी तरह हिस-दहिस करने के असावा वह बोल नहीं पाती थी । बचपन से इम थालिका का गौर वण जबुछ नीलिसा लिए हुए अद्भुत सुन्दर लगता था। यह बालिंवा ने बोसते हुए भी अपनी ओर पुरुषों को आइप्ट बर सकती थी । महल से साने के बाद इस बालिका को ढोलना सिशलाया गया मौर साथ ही नृत्य-समीत भी शिक्षा दी गई। तेरह वष की आयु में वह श्रप्सरा की तरह अपरवसुन्दरी यत गई मौर यहीं कया जब सिग दर के पास मेजी गयी तो यह उसपर मुग्य हो गया था । पिन लोगो ने यह दूश्य देखा था सहाने इसका वणन अनेफ पुस्तकों में किया है जो यूनानी भाया में हैं । इस घटना को देखने मे बाद सिकदर स्त॒ब्प रह गया । कई मार राजा-महाराजा ऐसी विपक्न्याओ थो पड पंमाने पर भगाने के लिए विस्तृत योजनाएं बनाते थे । इन योजनाओं मे ज्योतिथियों का भी सहयोग लिया जाता था । प्राचीन ज्योतिष प्रत्यो मे ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि उस समय के ज्यातियविशान से ज मपत्र (झ०7050096) देखकर यह निश्चय क्या जा सकता था हि झसुक कन्या एक सफस विष कन्या बन पाएगी अथवा मही । ज्योतिधाचायों की सहायता से ऐसी कन्याओ की खोज होती थी जिनकी कुण्डली यह दर्शाती थी कि वह बडी होकर एक सफल विधक्यूया बन सकती हैं । इन विधक याओों को राज- भवनों में ही बडा क्या जाता था। विपयुक्त मांजन के साथ-साथ सनकी राजसी सौर-तरीबे भी सिसलाएं जाते थे । उनको संगीत एव नृत्य की अच्छी शिक्षा भी दी जाती थी और साथ ही उनको छल की विधियां भी सिखलाई जाती थी । एसे प्रमाण मिलते हैं कि राजा-महारांजाओ ने अपने बचाव के लिए ही नहीं अपितु शत और उसके समस्त परियार को नष्ट करने के लिए भी ऐसी विपकन्याबा का प्रयोग किया ।
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