लागत लेखांकन | Laagat Lekhankan

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Laagat Lekhankan  by एच. सी. मेहरोत्रा - H. C. Mehrotra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९. 11 ) (6) व्ययों का उचित वर्गीकरण एवं विश्लेषण--एक आदशं लागत लेखा पद्धति के लिए यह आवश्यक है कि वह समस्त व्ययों के वर्गीकरण के लिए एक ठोस व ताकिक आधार प्रस्तुत करे । व्ययों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष मे बाँटना तथा अप्रत्यक्ष व्ययो को विभिन्न मदों मे बाँटता आदि सबके एक-एक उचित व तकिक आधार होना चाहिए । इसी प्रकार इनके विश्लेषण के लिए भी उचित सिद्धान्त प्रतिपादित किए जाने चाहिए उचित वर्गीकरण एवं विश्लेषण की विशेषता से युक्त पद्धति ही आदर्श लेखांकन पद्धति मानी जा सकती है । ः (7) कार्ये-विभाजन व दायित्व निर्धारण--एक आदर्श लागत लेखा पद्धति वह है जिसमे कमंचारियों मे उत्पादन कार्य इस प्रकार विभाजित किया जाय जिससे कि प्रत्येक का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जा सके । उत्तरदायित्व निर्धारित होने पर उत्पादन कार्य अच्छे गुण का होता है । (8) कार्यक्षमता व लागत पर नियंत्रण--लागत लेखा पद्धति ऐसी हो जो सभी श्रमिकों की कार्येक्षमता पर नियंज्ण रख सके । कार्यक्षसता पर नियंत्रण रखने से लागत पर सियंत्रण स्वतः ही हो जायेगा । (9) शीघ्र सुचना प्रदान करने की क्षमता--लागत लेखा प्रणाली ऐसी हो जो न केवल कार्य समाप्ति पर बल्कि कार्य की अपूर्ण अवस्था मे भी लागत-व्यय से सम्बन्धित सभी सुचनाएँ शीघ्रताशीघ्र प्रदान कर सके । इस प्रकार की सुचनाओ के अभाव मे टेण्डर भरना सम्भव न हो सकेगा । (10) वित्तीय लेखांकन से मिलान--लागत लेखा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि इसके परिणामों का वित्तीय लेखो के परिणामों से मिलान किया जा सके तथा अंतर के कारण ज्ञात किए जा सकें । ( लागत-लेखाक लागत-लेखांकन की पढ़तियों . (घट 501९ ट०णापि0) किसी वस्तु सेवा कार्य उपक्रय या ठेके आदि की लागत ज्ञात करने के सिद्धान्त एक जैसे ही है और प्रत्येक व्यवसाय मे प्रयुक्त होने बाली कोई भी लागत पद्धति इन्ही सिद्धान्तो के आधार पर कार्य करती है । किन्तु व्यवसाय की प्रकृति उसका आकार उसकी आवश्यकता तथा उसकी विशिष्ट स्थिति आदि के कारण लागत लेखांकन पद्धतियों मे विभिन्नता पाई जाती है। स्मरण रहे कि पद्धतियों की विभिर्नता का आशय सिद्धान्तो की विभिन्नता नही है बल्कि सिद्धान्तों को प्रयोग मे लाने की विभिन्नता है । अत. लागत लेखांकन पद्धतियों मे विभिन्नता होते हुए भी उनमे सिद्धान्तो की समानता है यही कारण है कि किसी वस्तु या सेवा कीं लागत किसी भी पद्धति से गणित की जाय परिणाम (लागत) एक ही आते हैं । सिन्न-भिन्न व्यवसायों मे काम आते वाली विभिन्न लागत पद्धतियाँ लिम्न हैं-- 1. इकाई अथवा उत्पादन लागत पद्धति (0071 ण 00001 (०5घपा्ट छैदिफ्राठठी-- इकाई या उत्पादन लागत पद्धति उन संस्थानों या उद्योगो मे अपनाई जाती है जहाँ-- (अ) उत्पादन या निर्माण कार्य निरम्तर चलता रहता है तथा (ब) निर्मित या उत्पादित समस्त इकाइयाँ एकसी होती हैं । संक्षेप मे जिस संस्था मे एक से प्रमाप की वस्तुएँ उत्पादित की जाती हैं वढ्डीं पर यह पद्धति लाभकारी व उपयोगी होती है । सामान्यतया निम्न संस्थानों मे यह पद्धति अपनाई जाती है-- (1) इँटों के निर्माण की लागत ज्ञात करने मे (1) कोयले ब्र पत्थर की खातों में (01) सीमेन्ट कागज आटा व कपड़ा मिलों मे (४) दुग्ध उत्पादन संस्थानों में




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