राधा | Radha

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Radha by प्रो. सत्यप्रकाश जोशी - Prof Satyaprakash Joshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्तिणध्यव्ट सा पडथा घर जाऊ रे वाह तो मावड पुछे--मटवी कहे घीवड थारी मटकी मठ ऐ म्हें छिणा अब धाठ्या नितार सूना में सूनी सुनी जोऊ मावड ने देस्‌ तो सामी देस्यो नी जावे । वाई मिस करू वाई वात चणाऊ म्हारी हेजछी जामण में कोकर भरमाऊ कीकर विलमाऊ स्टारी रातादेई सा दुण जाग फाई समर्भ मावड सू कद छानी रब बेटी री वाता ? नित नदी भटकी सू पे मीठी भोकावण नित मीठी सीखा देखे । पण महू थने कद जतढायी रे का ह कद जतछायो भ्राज मन रो म्यानी दरसाऊ अ्रचपदा कान्हू 1 श राघा / 11




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