रघुवंश | Raghuvansh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.05 MB
कुल पष्ठ :
394
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्मरण
डर ही
आओ पिंए-पाद-पयों को... सब सह बह मुझे बचाना
मिलती न ाल कांक्रो है। _,. जग के संताफ्शरों से;
छस अति विचित्र सत्ता का सद्दताप आप ज्यों शिशुकों
यदद चिथसात्र थाकी द॥१ ८ ढक लेता कीर परों से ॥६
दस मविमा पर विरशतिका बह वाल-सुलभ सीघापन; ;.
' परदा पड़ता जाता. है; वद्द जीवन गंगा-ललसा; , .
,. क्षण-क्षणके रसन्कणगणका, .. बह सदुच्यवसाय निरंतर;
,सरदा चढ़ता जाता हैं 0२... वहअध्यवसाय अयल-सा;$
करपना रूपरचना में... संतत सत्यानुचरण का
निर्वक, होती जाती है; चरण प्रशस्य यति पावन;
चिंतना-शक्ति निज बल को... सन,बचन, तथा करनी का
'पल-पल खाती जाती है॥ २... रद्द सामंजस्य सुद्दावन
तो भावजगत- से भी कया... सिंगमागम का बह नि,
'शुरुवर! हुम खो जाओगे? . - अध्ययन तथा 'अध्यापन;
विस्म्ति-्सागर में सीकर... सुमपघुर कल कर्णसुधासा,
थनकर शुम हो जादोगे ! परे _. वदरस-मय बाब्यलिपन; ६
कया सूख ,जायगा यों ही... . वह शक्ति लोक सेवा की;
वह स्नेइसुधा का सागर! *._ 'अनुरुक्ति देश की भारी;
क्या रह जांदेगी शेती'.. बह साष्ट्रीयला 'अखंदितत
मेरी हा का 2 हज 2
सेरी यह बीवी गागर? ४... 'पंडितिअ्था से स्यारी; १८
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