मलूसाही | Maloosahi

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Maloosahi by डॉ. रमेशचन्द्र पत्त - Ramesh Chandra Dutt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १२३) में धामदेव व ब्रह्मदेव का नाम आता है। ब्रह्मरेव ने थोरचन्द-भागचन्द की सेनाओं को हराया था । चम्पावत के राजा निर्मनचन्द ने अपने पु के विवाह का प्रस्ताव जिस दोतीगढ़ की खसिया 'राजकुपारी 'विरिया दोत्याली' से किया था, उसी के साथ ब्रह्मदेव का. सम्बन्ध भी हुआ था । धोरचन्द का समय १२६१ ई० से १२७४५ ई० तक माना जाता है । अतः ब्रह्मदेव का समय भी तेरहंवीं शनाब्दी में माना जा सकता है। कत्यूरों की अस्कोट बशाबली में अन्तिम पांच नाम--प्रीतम देव, धामदेव, ब्रह्मदेव, त्रिलोकी पाल तथा अभयपाल हैं । अभयपाल सच १२७४ में कत्यूर छोड़कर असकोट चला गया । अभयपाल ने अपनी उपाधि 'देव' से पालन कर दी थी । प्रत्येक राजा के लिए बीस वर्ष के समय का अन्तरात्त छोड़ा जाय तो भी ब्रह्मदेव का समय तेरहुवीं सदी का गध्य भाग ठहरता है । ग्रहमदेव के समप्र कत्यूरो बंश का अवसान समझना चाहिए । मालूशाही को धामदेव व ब्रहमदेव का समकालीन समझने पर उसका समग्र भी तेरहतीं सदी के लगमग ही. अनिरिकत होता है। जियाराणी जागर में जियासाणी को धामदेव या ब्रह्मदेव की. पत्नी माना है । गाथा के अनुसार शिव की कृपा से उतका पुत्र दुलशायी हुआ । | “मायापुरी नायो जिया ले, दुलासायी पायो, तब दियो गुरु ने आधार” |] यदि यह दुलसाही तथा माशु का. पिता दुलसाही एक हो व्यक्ति थे, शब तो मालुशाही का रामय भौर ली बाद का ठहरता है । इसका आधार द्वाराहाट और डोटी की बंशावलियां हैं । मालुशाही की स्थिति कत्यूर वंश के अवसाव की स्थित्ति हैं । दूसरी ओर राजुली की माता गाली का प्रसज्ध भी कल्पना प्रसूत नहीं है । कहां जाता है गांजली बड़ी दानी थी, भल्मोड़े से मिलम तक प्रत्येक पड़ाव में उसके नाम की धर्मशालाएं बनी हैँ । 'सुनपति सौक भी ऐतिहामिक व्यक्ति माना गया है, क्योकि सुनपति ने मन्दाकिनी का तटवर्ती प्रात बसाया और व्यापारिक मार्ग खुलवाये । इसका उल्लेख बद्रीदत्त पाण्डे जी ने अपने इतिहास में किया है !' लॉकसाहित्य में सुर्येंशी परस्परा---कुमाऊँगी लोक-गाथा पर्परा के अनुसार मालुशाही कत्यूर का राजकुमार था । ये कत्यूरबंशी सुयंवं शी 'राजपुत थे, जी स्थान विशेष में तिवास करने के कारण कत्यूरी कहलाये । इसी वंश में पहले रामभर्प्र जी भी उत्पन्न हुए । लोक गायक आज भी जागरवाताओं में, नवरात्रियों में, या लॉकस्तवर्तों में कत्यूरी वंश के राजाओं की वंश कली




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