पुराण संदर्भ कोश | Puran Sandarbh Kosh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.06 MB
कुल पष्ठ :
340
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मनुष्ट्प-(१) एक छन्द का नाम (२) सूर्य के
सात गयवों में से एक ।
भनुल्लाद-हिरण्यफशिपु का एक पु, प्रष्लाद
का भाई ।
मनूप-प्राचीन भारत का एक देख
मनृत-असत्य; भघमं भौर हिंसा का पुश्र ।
अनेन-(१) पुरूरवा के पुप्र भायु के पुत्र (२)
इक्ष्वाकुवंश के राजा पुरल्जय के पुत्र, इनके
पूथ पूथू थे !
मन्तक-यम ।
अन्त:फ़रण-हुदय, नात्मा, विचार भर भावना
का स्थान । अपनी चित्तवृत्तियों के कारण
अन्त:करण मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार इन
चार नामों से कहा जाता है । इनको अन्तः-
फरण चतुष्टय वहते हूं । सद्र्प-विकत्प के
कारण मनृष्य, पदार्थ का निश्चय फरने के
कारण चूद्धि, 'महूं-अहूं' [में-में) एसा अभिमान
करने से अहुट्लार मोर भपना चिन्तन करने
फे कारण यह चित कहलाता है ।
अस्तरिक्ष-नषपभदेव के नौ पुत्र दिव्य योगि
वने, उनमें से एक । नौ योगि थे कवि, हरि,
गन्तरिक्ष, प्रयूद्ध, पिप्पलायन, आविहोत्रि
द्रमिल, चमस, गौर कर'भाजन । इन्होंने ठोगों
को भगवान की महिमा सिसायी । (२) मुरा-
सुर दा एक पुर जो थी. कृष्ण से मारा गया
(३) इधवाकुचंधा के राजा पुष्कर के पुत्र,
इनके पुत्र सुत्पा थे, ।
मन्तर्घन-(१) महाराजा पृथु के पुत्र विजि-
ताइव का दूसरा नाम । इन्होंने इन्द्र से अन्त-
घान होने की विद्या सीसी थी, इसलिए यह
नाम पड़ा । (२) कुबेर का मस्त्र ।
अन्त्पेघ्टि-सोलह॒ संस्कारों में से एक जो मृत्यु
के चाद किया जाता है।
मन्घ-फश्यप भबौर कद्ू का पुन्न एक नाग ।
अन्घक-(१) यदुवंध के सात्वत के एक पुत्र ॥
इनके गुकुर, भजमान, शुचि भौर फम्वरू-
मनुष्ट्रप--मम्रतिष्ट । १७
चहिंश नाम के पुत्र हुए । इनसे अन्धक चंदा
चला । (२) यद्वंश का एक राजकुमार जो
मनु का पुत्र था, इसका पुष्न दुन्दुभि था 1
(३) एक असुर जिसको शिव जी ने मारा ।
अन्घकार-कफ्रोंच दीप का एक पहाड़ ।
अन्घकूप-एक नरक ।
अन्घताभिश्र-एक नरक |
अन्ध्न-(१) भाघुनिक भान्घ्र प्रदेश । (२) एक
राजवंध का नाम ।
अर्थ्रफ-भन्घ्र देश के राजा ।
अन्नदेवता-भोजन की सामग्री का अधिष्ठान
देवता ।
अन्नपूर्णा-दुर्गा देवी, सम्पघ्नता की देवी ।
अन्नप्राश-सोच्ह संस्कारों में से एक जब कि
नवजात थिंशु को पहली वार विधिवत अन्न
खिलाया जाता है । यह प्राय: छठे महीने में
किया जाता है ।
अन्ननपकोश-भौतिक घरीर अथवा स्थूल दारीर
जो भन्न पर ही भाघारित है । अन्न के बिना
यह नप्ट हो जाता है । यद्द व्वचा, चमें, मांस
रुघिर, भस्थि, मल भादि का समूह है ।
अपराजित्त-(१) विष्णु का नाम, शत्रुओं द्वारा
पराजित न होने वाले भगवान (२) घृतराष्ट
का एक पृत्र (३) एकदद रुद्रों में से एक (४)
कालकेप चथा का एक भसुर राजा |
गपरा प्रफुतति-देखिए प्रकृति ।
भपर्णा-श्री पार्वती का नाम 1 तपस्या करते
समय ह्विमवाद की पुत्री ने पत्ते भी खाना छोड़
दिया ।
मपचर्ग-(१) समाप्ति (२) मोक्ष (३) दान |
* अपान्तरतम-चधिलोक ज्ञानी एक ऋषि । भगवान
चिष्णु की भाज्ञा के बनुसार इन्होंने वेदों का
विभाजन भर क्रमीकरण किया था |
भप्रतिरथ-पुरु वंध के कतेयू के एक पूथ, इनके
पुत्र कण्व थे ।
अप्रतिष्ट-पुक नरक ।
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