स्वांत्र्य सेनानी नारायण दास बौखल व्यक्तित्व एवं कृतित्व एक आलोचनात्मक अध्ययन | swantry Senani Narayan Das Baukhal Vyaktitav Evm Ek Aalochnatmak Adhyayn

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Book Image : स्वांत्र्य सेनानी नारायण दास बौखल व्यक्तित्व एवं कृतित्व एक आलोचनात्मक अध्ययन  - swantry Senani Narayan Das Baukhal Vyaktitav Evm Ek Aalochnatmak  Adhyayn

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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करने व संघर्षों का सामना करते इस उक्ति को चरितार्थ करते थे- क्रिया सिद्धि सत्वे भवति महताम्‌ नोपकरणे | (1) इनके साथ विद्यालय छोड़ने वाले तथा अन्य अनेक जोशीले नवयुवक व प्रौढ़ नागरिक थे जो नित्य प्रात उठकर 4 बजे से प्रभात फेरियाँ निकालते राष्ट्रगान गाते हुये विदेशी कपड़े इकद्‌ठे करते उनकी होली जलाते पिकेटिंग करते व विदेशी बहिष्कार का मन्त्र लोगों में फूकते थे । धीरे-- धीरे इन लोगों का मजाक उड़ाने वाले नागरिक व अधिकारी भी इनके साथ होने लगे | चौरी चौरा काण्ड के बाद जब आंदोलन धीमा पड़ने लगा तब गांधीजी ने रचनात्मक कार्यक्रमों की ओर उसे मोड़ दिया । पंडित जी गाँव-रगाँव में खादी प्रचार करने व खादी आश्अम खुलवाने आदि में लगे | वे क्रांतिकारियों को हर संभव सहायता पहुँचाते रहते थे | सन्‌ 30 से पंडित जी की गतिविधियों पर गुप्तचर विभाग की पूरी नजर रहने लगी | उनकी डायरियों में इनके कार्यक्रमों _ का पूरा ब्यौरा रहता था- उदा. 2 अप्रैल सन्‌ +%0- बाबा रामचन्द्ध गिरवाँ गया शाम को वापस आया झंडा खद्दर भंडार से उठाया गया डिस्ट्रिक्ट बोर्ड में खड़े होकर गाना गाया गया चलती वक्‍त में गयर्गमेंटबर्बाद बोले अलीगज घूमे सेठ विष्णु करण के हाते में एक कमीज की होली जलायी गयी वहाँ से खाई पार घूमे मुलया चमार के मकान के सामने खतम किया मुलवा चमार के चतूतरे पर सब बैठे चमारों का बुलाया गया उनको बाबा रामचन्द्र ने समझाया कालूराम ने भी । मास्टर नाँरैनन प्रसाद ने शराब पीने को मना करा गया और बेगारी देने को मना करा गया । इसका असर । इस पंचायत में थे कुँवर हर प्रसाद सिंह सेठ विष्णु करण कालुराम गौड़ दुरगा प्रसाद गंगादीन चमार । भुरा महाराज मोतीलाल अगरवात और सब लड़के . . रामलीला मैंदान में नमक कानून भंग करा जायेगा। महोबा से मोटर पर 40 बजे मिथला आया. नं. 59/कर्वी से मास्टर लक्ष्मी नारायण जत्था लेकर बँदा आये । . .बाबा महावीर का जत्था वापस गया पंडित जी के साथ महादेव भाई रामसेवक खरे रामगोपाल भाई गोकूल भाई मिथिला शरण आदि सदा रहते थे | पं. जी 18-01-33 को पुन गिरफ्तार किये गये लखनऊ में । वहाँ से छूटने पर 1935 में बुन्देलखण्ड के संगठनकर्ता बने | इसके बाद कु. हरप्रसाद सिंह विष्णुकरण सेठ बलदेव प्रसाद रहतिया आदि ने कार्यों में सहयोग दिया | इस प्रकार अपना संपूर्ण जीवन स्वाधीनता संग्राम की बलिवेदी पर समर्पित करने वाले पं. अग्निहोत्री ने रीढ़ की हड्डी में लोहे का तार चुभने फलतः टिटनेस हो जाने से अपनी इह लीला समाप्त की | (2) 2. कुूँवर हरप्रसाद सिंह एडवोकेट -. बाँदा जनपद के दूसरे अन्यतम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कूँवर हर प्रसाद सिंह एडवोकेट थे । पिता श्री हीरालाल व माता गौरा देवी के पुत्र कूँवर साहब शौर्य और साहस के प्रतीक परम निर्भीक कानूनविद्‌ एवं प्रखर वक्ता थे | उन्होंने महर्षि दयानन्द के सामाजिक व धार्मिक सुधारों के साथ-साथ राष्ट्रीय भावनाओं को आत्मसात करके महात्मा गाँधी के सत्य अहिंसा पर आधारित असहयोग आन्दोलन में बुन्देलखण्ड में बाँदा जनपद का नाम अग्रणी कराने में विशिष्ट योगदान किया था | वे बाँदा की कचेहरी के सबसे मुखर स्पष्टवादी (1) सूक्ति संग्रह... (2)श्री देवेन्द्रनाथ खरे एम.ए. एल.टी. साहित्यरत्न द्वारा कामद क्रान्ति में पंडित लक्ष्मी नारायण अग्निहोनत्री जी पर लिखे हुए संपूर्ण परिचयात्मक लेख पर आधारित... व व... डे




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