पुरातत्व विज्ञान | Field Archaeology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.21 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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No Information available about रामप्रकाश ओझा : Ramprakash Ojha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्याय | 2
रणपुर
एरमवानायतातागववनयाायववतणवनाननावतवणकनठणणगाधावानववतावधिवााण्पिकाावावविविधिनं प्रा 99992. ना.
यह पूर्व लिम्ब्दि राज्य (1नफ्राता 50806) के मदर नदी तट पर स्थित है । यह घन्धुक रेलवे स्टेशन से 3 मील
तथा लोधल के 30 मील उत्तर-पूर्व में है । यहाँ पर सर्वे प्रथम खुदाई माघव स्वरूप वत्स ने 1985 ई० में की थी । उन्होंने
चार क्षेत्रों में 7 फीट गहरे गड़ढे खोदे । इनमें भवनों के तो कोई अवशेष नहीं दीख पड़े किन्तु हड़प्पा शैली की बहुत सी
वस्तुएं उपलब्ध हुई हैं। इन्हीं प्रंमाणों के आधार पर उन्होंने इसे सिन्घु संस्कृति से प्रमावित क्षेत्र के अन्तगंत घोषित
किया । सन् 1947 में श्री मोरेश्वर दीक्षित ने फिर उत्खनन कराया और उपलब्ध हुए प्रमाणों के आधार पर इस स्थान
की सभ्यता को सिंघु युग के उत्तरकाल से सम्बन्धित बतलाया । तत्पश्चात श्री एस० भार० राव ने इस खण्डहर की
लगातार कई वर्षों तक खुदाई की भौर अन्त में इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि रंगपुर का टीला सिंधु संस्कृति का है। अब
प्राय: सभी विद्वानों द्वारा यह मान्य हो गया है कि रंगपुर कालीन संस्कृति सिंधु संस्कृति ही है ।
यहाँ से उपलब्ध हुई सभ्यता को हम प्रमुख तीन मागों में विभाजित कर सकते हैं। प्रथम पु मृदुमाण्ड
माइक्रोलिधिक सम्यता थी । इस सभ्यता के अन्तर्गत केवल पत्थर के छोटे-छोटे उपकरण उपलब्ध हुए हैं । मिट्टी के बतंँनों
का .पूर्णतया अभाव है । प्रथम स्तर की सभ्यता के साथ हड़प्पा कालोन संस्कृति के कोई उपकरण नहीं मिलते हैं । द्वितीय
स्तर सभ्यता में हड़प्पा कालीन संस्कृति के चिल्ल उपलब्ध थे । यहाँ पर उपलब्ध हुए विविध उपकरणों के आधार पर हम
इस सभ्यता के विकास को तीन मुख्य चरणों में विभाजित कर सकते हैं । प्रथम चरण की सम्यता के मुदुभाण्ड थोड़ा
बहुत अन्तर के साथ हड़प्पा कालीन संस्कृति के प्रतीत होते हैं। द्वितीय चरण की सभ्यता में उपलब्ध हुए मुद्दुभाण्ड पूर्णतया'
हड़प्पा कालीन संस्कृति के द्योतक हैँ । पुरातत्ववेतताओं का अनुमान है कि प्रथम स्तर के लोगों के छोड़ देने के पश्चात
यह स्थान बहुत दिनों तक निर्जन पड़ा रहा, जिसकी पुष्टि प्रथम और द्वितीय स्तरों के बीच में उपलब्ध हुए मलवे के बहुत
बड़े भराव से होती है । तत्पश्चात् सिन्घु सम्यता वासी यहाँ पर आये और उन्होंने अपनी कला-कृतियों का विकास किया ।
द्वितीय चरण की सम्यता इस तथ्य की पुष्टि का स्पष्ट प्रमाण है । तृतीय चरण की सम्पया में कुछ विशेष परिवत्तेनों के
साथ मुदुभाण्डों का संस्कार हुआ । विभिन्न तवीन मृदुभाण्डों की उत्पत्ति हुई । यह हड़प्पा सम्यतता की प्रौढ़ावस्था का काल
था । इस प्रकार से प्रथम चरण की सभ्यता हड़प्पा वासियों के आगमन, द्वितीय चरण की सम्यता उनके विकास तथा
तृतीय चरण की सम्यता उनकी प्रोढ़ावस्था की सुचक है एस० आर० राव महाशय ने तीनों चरणों की सभ्यता की तिथि
निम्न ढंग से निर्धारित की है-- (1) 2000 1500 बी० सी०
(2) 1500-- 1100 - 1200 बी० सी०
(3) 1000<-860 बी० सी ०
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