अंडमान और निकोबार द्वीप समूह | Andaman Aur Nikobar Dwip Samuh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.99 MB
कुल पष्ठ :
178
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हरे-भरे द्वीप ग द्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित मैगापौड द्वीप में पाया जाता है । इस पक्षी की विशेषता है कि यह अपना रंग वातावरण के अनुकूल बदलता रहता है । नारकोंडम का धनेश (हार्नबिल ) भी एक दुर्लभ पक्षी है । ऐसा अनुमान लगाया गया है कि इन ह्ीपों में लगभग दो स॑. भरकार के पक्षी हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के कबूतर व तोते आदि सम्मिलित हैं । इन द्वीपों में एक विशेष प्रकार का कबूतर पाया जाता है जिसे निकोबारी कबूतर कहते हैं । यह एक आलूचा के रंग की चिड़िया होती है जिसका गला व सिर भूरे रंग का पूंछ बिल्कुल सफेद तथा बड़े व छोटे परों का रंग धात्विक हरा होता है । एक चितकबरा शाही कबूतर मलाई की तरह सफेद किन्तु उसके उड़ने वाले पंख तथा पूंछ का आखिरी हिस्सा बिल्कुल काले होते हैं । एक अन्य चैती चिड़िया होती है जिसे अंडमान टील कहते हैं । यह एक प्रकार से बत्तख की उपजाति की है और देखने में बोलने वाली चैती चिड़िया सी लगती है । यह भूरे रंग की होती है जिसके पंखों तथा गर्दन पर सफेद धब्बे होते हैं । अंडमान में चिड़ियों के घोंसले जिनमें चीनी व्यापारी व्यापार किया करते थे पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं । ये घोंसले चट्टानी गुफाओं में समुद्र के ऊपर करीब बारह फुट की ऊंचाई पर पाए जाते हैं जहां जाने का रास्ता समुद्र की लहरों द्वारा तोड़ा हुआ रहता है | यहां अनेक प्रकार के सांप पाए जाते हैं किन्तु अधिकांश सांप विषैले नहीं होते । यह बड़े आश्चर्य की बात है कि यहां पर सांप से अधिक लोग कनखजूरा से डरते हैं क्यों कि इसका काटना कहीं अधिक कष्टकर व खतरनाक होता है । हरी छिपकलियां इन द्वीपों की एक विशेषता हैं जो शायद विश्व में दुर्लभ हैं । इन द्वीपों में छ्पिकलियों की लगभग पन्द्रह- किसमें मिलती हैं । उनमें से कुछ आदमी की तरह विचित्र आवाजें निकालती हैं विशेष रूप. से रात्रि के समय । अनजान आवाज से नवागन्तुक को विशेष कौतूहल और कभी डर भी लगने लगता है । इन द्वीपों में समुद्री सम्पदा के अक्षय भंडार हैं जिसके कारण अनेक विदेशी नावें चोरी से मछली के शिकार के लिए यहां आती रहती हैं । विशेषज्ञों के अनुसार इन द्वीपों के सीमांतर्गत जल क्षेत्र में करीब चौबीस प्रकार की मछलियां पायी जाती हैं जिसमें सार्डीन अनकेबी त्यूना मैकरिल सिल्वर जेली झींगा पोमफ्रेट अशल्क मीन (कैटफिश) हिल्सा कारनेक इत्यादि । मीठे पानी में रोहू तथा कुछ अन्य किसमें भी थोड़ी मात्रा में उपलब्ध होती हैं । इन द्वीपों के समुद्र में हमें कुछ विचित्र प्रकार के समुद्रीय जीव जन्तु मिलते हैं । सीपी के अन्दर का जीव जिसे शैलफिश कहते हैं उसे आदिवासी जनजाति के लोग बड़े शौक से खाते हैं । यह यहां पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है । खाली सीपी भी यहां पर एकत्रित की जाती हैं तथा उनकी अच्छी कीमत मिल जाती हैं । कुछ लोग सीपी एकत्रित करने के उद्देश्य से जनजाति सुरक्षित क्षेत्रों में चोरी छिपे घुस जाते हैं जिससे आदिवासियों को बहुत नाराजी
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