निरला रचनावली 3 | Nirala Rachnawali-3

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Nirala Rachnawali-3 by शीला संधू - Sheela Sandhu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भप्सरा को साहित्य में सबसे पहले मन्द गति से सुन्दर-सुक्‌मार कवि-मित्र सुमिघ्नानन्दन पन्त की ओर बढ़ते हुए देखा, पन्‍्त की ओर नही । मैने देखा, पन्तजी की तरफ एक स्नेह-कटाक्ष कर, सहज फिरकर उसने मुझसे कहा, इन्ही के पास बैठकर इन्ही से मै अपना जीवन-रहस्य कहूँगी, फिर चली गयी । --“'निराला'




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