हिंदी साहित्य | Hindi Sahitya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hindi Sahitya by पं. अमरनाथ झा - Pt. Amarnath Jha

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पं. अमरनाथ झा - Pt. Amarnath Jha

Add Infomation About. Pt. Amarnath Jha

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
| है ] सामने ये प्रधान प्रश्न थे । देश की स्वतन्त्रता का भी कुछ कम प्रधान प्रश्न न था । पर चदद जातीय श्रौर राष्ट्रीय एकसूनता के श्राधार पर ही खड़ा हो सकता था श्रौर श्रन्तर्स- ष्ीय मानवसाम्य का एक श्रज्न बन कर ही शोभा पा. सकता था । यह सम्मिलन और सामज्ञस्य की मावना भारतीय सस्कृति की चिरदिन की विशेषता रही है, इसलिए महायुद्ध की शान्ति के पश्चात्‌ ये प्रश्न सामने झ्ाते ही चह सास्कृतिफ प्रेरणा जाग उठी स्तर तीन्र वेग से तत्कालीन काव्य श्औौर कलाश्रो मे अपनी झमिव्यक्ति चाहने लगी ! प्रतिकूल परिस्थितियों की प्रतिक्रिया भी हुई । कविंगण उस श्वर्द्ध वातावरण का उद्घाटन करने में भी प्रह्त हुए जो चारो श्रोर छाया हुश्भा था । प्राच्य श्औौर श्रघुनातन जीवन का विभेद श्ौर तस्जन्य सझुल्प-विकल्प तथा सशय भी नवीन साहित्य में प्रति- बिवित हुआ । कुछ दुर्भलहृदय व्यक्तियों पर इस परिस्थिति का शनिधकारी प्रभाव भी पढ़ा, किन्छु ऐसे गुमराद व्यक्तियों की निःशक्त सत्ता पर हमारा इस समय का साहित्य नहीं ठहरा है । इसकी नीव बलिए्ट भूमि पर रक्‍्खी हुई है । समृद्धि श्रौर अलझटरण के लिए इसने विभिन्न दिशाओं में प्रसरण किया । उप- निपदों का दिव्य दर्शन इसने श्रपनाया जिसमें श्रलोकिक श्ोज श्र प्रसार था | सदात्मा बुद्ध शरीर उनकी क्रान्तिकारिशी शिज्षात्मों से भी इसने सपझे सीया । भारतीय इतिहास के समृद्धिशाली युगा का दत्तान्त छाना । प्राचीन रहस्यवादियां श््ोोर सन्त की चाणी का मी अनुशीलन किया । झजन्ता और इलोरा, सोची नयोर सारनाथ की प्राचीन कला सामगी का भी शप्ययन शोर उपयोग किया । पाश्चात्य टिक्नीक या निर्माणु-कोशल भी इसमें कुछ न कुछ दिखाई दिया श्लौर पश्चिमी 'पालिश भी लगी | उतने बड़े पैमाने पर न सही, किसी हृद तफ यह नया कला-श्ान्दोलन जो दिन्दी साहित्य में छायायाद के नाम से प्रसिद्ध है, यूरोप के सुप्रसिद्ध 'रिनिसा' था पुमरुस्थान श्रान्दोलन से समानता रखता है । पर समुचित विनसि के स्यमाव में इसकी पुरी प्रतिष्ठा भी नहीं हो पाई थी फि उस पर ऊपर फयित हमले शुरू दो गए । यदि व्यानमणुफारियों की बात सच मानी जाय तो यद सारी कला सामग्री कोरा पलायन ही सिद्ध होगी । पर यह दे कया, इसका निर्णय हो पाठकों की खत बुद्धि कर सफ्ती है |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now