व्रतोत्सव - चन्द्रिका | Vratotsav Chandrika

Vratotsav Chandrika by पं. गणेश रामात्मज - Pt. Ganesh Ramatmj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रीकृष्ण शरणुमू । ब्रतोत्सवचन्द्रिका । खदनवाननणनाा _ नवाणणागवामनगाग मज़लाचरणम्‌ । नापेकनाणाण वाझमे मनसि प्रतिष्ठिता मनो में वाचि प्रतिप्लितमाविरावीमे पधि | चेद्स्य म श्राणीस्थः श्रतं मे मा प्रहासीरनेनाघीतेना5होरात्रा- स्संदधाम्यतं चदिष्यामि । सत्य वदिष्यामि। त्मामवतु । तद्वक्तारमचतु मामवतु वक्तारमचतु बक्तारमू । आो शास्ति शान्ति शान्ति । पेतरेयोपनिषद् । घजे प्रसिद्ध नवनीत चोर गोपाइनानां च दुकूल-चौरम्‌। ने ऋ-जन्माजित-पाप-चौर चोराग्रगण्यं पुरुष नमामि ॥ नीलाम्बुज-श्यामल-कोमला डूं सीता-समारोपित बाम-भागम्‌ । पाणो महा-सायक -चारु-चाप॑ नमामि रामं रघुवंश-नाथम्‌ ॥ चेत्र-मासके ब्रतोत्सवॉका विवरण । वर्षके श्रारमम चैत्रका महीना दोनेके कारण इस मासके शुक्क पक्षमें अनेक त्तोत्सवों (त्योहारों) का प्रथक प्रथक उल्लेख दुआ है। यदि उन समस्त त्योहारोका वर्णन इस पुस्तक्म किया जाय तो पक बडुत बड़ा ग्रन्थ केवल चैत्र के त्योहारोसे ही बनजाय श्रौर इस प्रकारकी बुदत्काय पुस्तकको न तो एक लेखक अपनी उमरभरमें लिख सकता हे श्रौर न पाठकोक्री ही उसमें रुचि होना संभव है । इसलिये घतोत्सव-चन्द्रिवा में प्रायः सर्वत्रद्दी मुख्य मुख्य त्यौदारोका ग्रहण किया गया है। उसी प्रकार चैत्रमेंसे सम्बत्सर-प्रतिपदा गणागोरी- बत श्ररुन्धती-बत राम-नवमी श्रोर हनुमज्यन्ती इन पांच त्यौहारोका ही विवरण लिस्क जाता है ।




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