आपस्तम्बधर्मसूत्रम् | Apastamba Dharmasutra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
179.48 MB
कुल पष्ठ :
400
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मय स्तम्बघमस्रूचे (१८१ कं. न्राह्मणाययाथतारो वणेसब्लिका। । ते च सामयाचारिकेधरराधि- मी _. कियन्ते 1. (१)चतुणा मेवोपदेशे 5 पि पुनख्धतुम्रेहण (२)यथाकथ जिलू . .. चतुम्वन्तभूतानामपि ग्रदणाथेमू । ततश्व(३) ब्राह्मण क्षत्रियों वैदय . शत बाधायनादि।मेरुक्तानामनुलोमादीनामप्यत्र ग्रहण मतस । तथा ह .. च गोतमः अतिलोमानामेव घमउनाघकारमाह--(४) प्रतिछोमास्तु धर्म हीना? इति ॥ ४ ॥ तषा पूव पूवा जन्मतचश्नघानू ॥ ५ || ._ लर्मत इात बचनातू सद्ूत्तादाप दूदाइश्यघुवोडपि श्रयान्। एवं कवर रह बेदयात् क्षत्रिय कव्रियात् ब्राझणः ॥ ५॥.. ही अच्चा द्राणासदुष्ट कस ण।सुपायन वढदाध्ययनसग्न्याघप फलवान्त च कसाण | ६ ॥| _ झुंद्रवज्ितानां त्रपाणां वगानामदुटकमणासुपायनादयों धमाप । उपाय- _ नमुपनयनमू । नात जेवर्णिकाना मुपनयन।दिं विधीयते प्राघ्नत्वात्ू । ना... थी उप सूदाणा प्राताधध्यत प्राप्त्यसाबातू । तथा दहिन-उपनयन तावदुगह - (१) गर्भोष्टमेषु ब्राह्मणसुपनयीत त्यादिना जेवार्णिकानमेव वाहतमू | . इदा।प तथंब ववेघास्यत । अध्ययनमसपि (६) उपतस्याचायकुछ ब्रह्म- . चारिवास इत्यारस्य विधानात् अनुपनीतस्थ चाद्रस्याप्रा्तमेव । किंच (७) दमशानवच्छ्द्षपातत।ाावाति ()अध्ययननिषेधा चक्ष्यते । (९.)यस्य खमाप नाध्यंय सख कथ स्वयमध्यतमहात | की .... अग्न्याधेयमपि (१०) व खन्ता न्नाह्मण इत्यादि जेवाणिकानामेव विहितम। दे फलवान्त चार्न हंत्रादानि कमाणि (११) से जयाणां चर्णाना (मट्युक्तत्वातू नव _ लिंकानामेवर नियतानि । विद्याग्त्यमदवाख शुद्राणामप्र लक्तानि । उक्तो वि . चारत्यमावः | तस्मादूदुश्कममातिषे घाथ सुन्नम । यथा शास्त्रान्तरे-(१२) . द्विजातिकमंस्यो हानि। पतन मिति । अप्रतिषेघे तु दु्टकमंगासप्याधि तरह १८ व्णानासुपद्शझाप सुनश्वतुम्रहण यथाकथश्िचतुष्वन्तभूंतानामपीति ख पु. ं २. यथाक्रम इति के ० पु. डे बन घन १ उ प ४. गान घन ४. २५ कि ५ भाप पुन ८ रे... दंत आप घन १. २ १३ ७ आप घ० १ ९.९ ४ अध्ययनश्रतिषेधप्रकरणें वशष्यत इति ख० पु.। न रे . ६. यस्य यसंय स. सः इति दिरुक्ति क० पु० । १० तै. ब्रा कक ११. आप परि० १. २... १२. गौ० घ० २१ है
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