आदर्श हिंदी शब्दकोश | Adarsha Hindi Shabda Kosha

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Adarsha Hindi Shabda Kosha by पं० रामचन्द्रजी शर्मा - Pandit Ramchandrajee Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रटाला धौरहरा, बूज ,। अटाला-हि०पु०) सामग्री, ढेर, राशि, सामान । भ्रटिया-हिं०्खौ०) छोटा घर, कुटिया, झोपड़ी, घास इत्यादि का बँधा हुआ मुदूठा, ऑटी 1 अ्टूट-(हिं०विष) न टूटनेवाला, जिसका खर्ष्ड न हो सके, दुढ,अजेय, अधिक, बराबर, लगातार 1 झ्टेक-(हिं ०दि०) बिना टेक का; उद्देश्य रहित; बिना सहारे का । अ्रटेरन-(हिं०पुंझ) सूत की आँटी बनाने का एक यत्त्र, ओयना, कुद्ती की एक दाँव, घोड़े को चक्कर देने की एक विधि । अटेरना-(हिं०क्रि०) सूत की आँटी बनाना, मोड़ना; नशे में चूर होना । शटोक-(हिंवि०) बिना रोकटोक का, अप्रतिवंधित | अटस्वर-(हिं०पुंर) ढेर,राहि, समुदाय ! श्रह्-सिं ०पु ०) महल, अट्टालिका, होठ, बाजार, (विं०) अधिक, बहुत ऊंचा । ग्दुक-(सं ०एुं ०) छत परकी कोठरी । अटून-सिंधनपु ९) ढाल, अप्रतिष्ठा ! श्रटुहसित-सिं०३ि०) ठहाके की हंसी । अप्दहास-(िं०पुं) ठटूठा मार कर हंसना, ठहाके की हँसी, बड़े जोर की हंसी । अट्हासक-(संधपुं०) ठहाकों मारकर हसनेवाला, कुत्दवृक्ष । झट्ट- हासी-रं०पुं०। महादेव, दिव । अट्टा-हिंन्पु ) अदूटाछिका, अटारी, सचान । अट्टाट्रहास-देखो अट्टहास । श्रट्टाल-(संप पुंझ) महल में सब से ऊपर की छत पर का कमरा | झट्ालिका-(सं ० ली ०) अटारी, बड़ा मकान, राजगृह, प्रासाद, झट्टालिका- बत्घ-सिं०पुं०) डाट, क्मानीदार नीव। झरट्टी-(हिंग्ली०) लूच्छी, अटेरन में लिपटा हुवा ऊागा अट्टा- दिपु) ताश का वह पत्ता जिसमें किसी रंग की आठ वूटियांहों झ्द्ाइस, झरट्टाईस-(हिं०वि०) बीस और आठ से बनी हुई संख्या २८ । श्रट्ठा- इसबाँ-(हिं०दि०) अट्ठाइस संख्या वाला । झअट्टानवे-(हिंनवि०) नब्वें और आठ से बनी हुई संख्या ९८ । अ्रट्टाबत-ड्रिं-विं०) पचास और आठ से बनी हुई संख्या ५८ । झट्टावनवाँ- (हिं०विं०) अटूठाकन संख्या का श्रट्ासिवां-हिं ०विं ०) अट्ठासी संख्या का द्रद्दासी-(हिं०वि०) अस्सी और आठ से बनी हुई संख्या ८८ । श्रठ-(हिं०वि०। आठ की संख्या ८ । शठइसो-(हिं०्सा०) एक सौ चालीस जनरल या ककणााााशाण सलाद, मन्त्रणा । नदखटी | रद बनाना, श्ुठोठ-हिल्‍पुं ०) ठाट बाठ, आऑडम्बर । ग्रठखेलपन-!हिं०पु ०) खेलकूद, उपद्रव, 'श्रठोतरसो-हिं०दि०) एक सौ आठ की सुंख्या १०८ | डी [हिंन्खी०) क्रीडा, कौतुक, झठौतरी-(ि०्खी+) एक सौ आठ दाने खेलकूद, उछलकद | ग्रठैत्तर-हिं०वि० ) सत्तर और आठ से बनी हुई संख्या ७८ । की जप करने की माला, एक सौ आठ वर्ष की स्थिति |... हिंग्वि०) आठ का (पुं०) आठ अठन्नी-(हिं० खी०) आठ आने ! आधे | पत्तों से बना हुआ दोना । रुपये ) का चाँदी की मृद्रा । डे अठपतिया-(हि-दिंन) आठ पत्तों की, ऑ्रठंग-हिं ०पुं ०) अष्टांग, योग साधने- वाला । एक प्रकार का बेलबुंटा जिसम आठ झड़-(हिनखी०) हुठ, टेक । पत्तियां काढी जाती हैं । अड़काना-हिं ० क्रिश) रोकना, जाने अ्पहला,श्रठपहुलू-हिं० कि०)आठ पहलका। न देना । डी शठपाव-हिं०पुं०) उपद्रव, हलचल, श्रिड़ग-हिं०थवि०) दुढ़, पुष्ट, अचल । गड़बड़ी 1 श्रढबन्ना-हिं०पुं०) ताने के सूत को लपेटने का बाँस । अठ्सासा-(दि विंग) आठ महीने का, आठ माथे की तौल का, ऊख बोसे के छियें जो खेत माघ महीने से असाढ तक जोता जावे । झठमासी- हिं०पिं०) आठ मादी की तौल वाली, गिनती । अ्ठलाना-'दि०क्रि०) इतराना, क्रीडा कौतुक करना, एंठन दिखलाना, अभिमान प्रगट करना, चोचला दिखाना, मदोन्मत्त होना । शअठवबना-(हिंनक्रि) एकत्रित होना, इकट्ठा होना । अठवाँस-(हिं० पु) अठपहलू पदार्थ, आठ कोने का टुकड़ा (वि ०) अठपहल, आठ कोने का । झ्रठवाँसा-(हि०विं०) आठ महीने में जन्म लेने वाला, (पु०) सीमन्तोन्नयन संस्कार जो गभें धारण करने के बाद आठवें महीने में होता है । श्रठवारा-(हिं०पुं०झ) आठ दिनका काल, ्रड़गोड़ा-हिं०पुं०) लकड़ी का टुकड़ा जो नटखट पशु के गले में बाँध दिया जाता है जिससे वह जल्दी जट्दी दौड़ नहीं सकता, प्रतिबंध, ठोंकर । ्रडज़-हिण्पुंन) बजार, मण्डी, हाट । अ्ड़ज़ा-(िं०पुंस्‍) अवरोध, रुकावट, बाधा । अड़च-(हि०स्री०) दात्रुता । अ्डचन-(हि »सी०) विघ्त, रुकावट, बाधा, आपत्ति । अड़डन्डा-हिल्‍्पुं०) मस्तूल में बँधा हुआ बेंड़े बल का डन्डा जिसमें पाठ बाँघधी जाती है । झड़ड़ पो पो-( हि पुं० ) हाथ देखकर राभाशुभ बतलाने वाला, वंचक, छली, पाखण्डी, बड़बड़िया, वृथा की बकबवाद करने वाला, गप्पी । अडण्ड-हिविं०) जिसको दण्ड न दिया गया हो, निभेंय, भयररह्ति । श्रड्तल-(हिं०स्री ) आड़, ओदट,अवरोध छाया, बहाना, आश्रय, शरण | अ्ड़तला-हिं० पु) आश्रय, सहारा | अड़तालिस, भ्रड़तालीस- (हि० वि० ) आठवाँ दिन, सप्ताह । श्रठवारी-हि०। चालीस और आठ से बन हुई संख्या ख्री०) ज़मीदार को प्रत्येक आठवें दिन किसान से हलबेल देने की प्रथा अठवाली-हिं०विं-) पाठकी जिसको आठ कहार उठा कर ले चलते हैं । (हिं०दि०) सत्तर और आठ से बनी संख्या ७८ । श्रठहत्तरवां- (हिं०विं०; अठत्तर संख्या वाला । श्रठान-हिं०पुं०) न ठानने या स्थिर करने योग्य, अनुचित कायें, द्वोह, वेमनस्य, शत्रुता । अठाना-हिं० क्रि०) ठानना, संताप देना, पीड़ा पहुंचाना श्रठारह, झट्टारह-हिं०वि०) दस और आठ से बनी हुई संख्या १८ । झठा- रहवां, भ्रट्टारहवां,-हिं०वि ) अठारह संख्या वाला. 1... '। शठासिवाँ-हिं०५दिं०) अठासी संख्याका अ्ठासी-हिं०खी ) अस्सी और आठ ६ अट्ठाइस पंजा २८'**५'* १४०) से बनी हुई संख्या । इसका व्यवहार फलों की बिक्री में श्ठिलाना-हिं०क्रि) देखो अठलाना । होता हूं, यह संख्या १०० समझी झिठे-हिं०क्रि०वि०) यहां, इस स्थानपर जाती है । श्रठेल-हिं०वि०) न ठेलने योग्य, दृढ़, ४८ । अ्रड़तालिसवां-(हिं०विं०) अड़ तालिस संख्या का । भ्रडुतिस, श्रड़तीस-हि०वि०) तीस और आठ से बनी हुई संख्या । ग्रड़तिसवाँ, श्रड़तीसवाँ-[हिं० वि०) अड़- तीस संख्या वाला । भ्रड्दार-(हिं०वि०) अड़ने वाला, चलने में रुकने वाला, अड्यिल, मस्त । अड़ता-( हिं० कि» ) चलते चलते रुक जाना, हृठ करना, टेक ठानना, रुकना, अटकना । श्रड़बंग-(हिं०वि०) ठेढा, ऊंचा नीचा, दुर्गेम, अड़बड़, अपूवें, विकट,बेडौल । अड़बंगा-हिं० विं०) देखो अड़बंग । भअडम्बर-देख़ो आडम्बर । अड़बड़-हिं ०पुं०) व्यथ की वार्ता,गाली गलौज, अड़बड़बका - गाली गलौज देना, प्रलाप करना । झड़बन्ध-विं०वि०) भयरहित, सिर्भीक अड़व (हिं०पुं०) एक प्रकार का राग । अड़्बल हिं०वि०) अड़नेवाला, रुकने ऑ्रठ तिया वाला, अड़ियल । अड़्सठ, श्ररसठ-(हि०वि०) साठ और आठ से बनी हुई संख्या ६८ । झड़- सठ्वाँ, अरसठबाँ-[हिवि०! अड़्सठ ' संख्या का । श्रड्हु-सिं०पु ०) बकुल, मौलसिरी का वृक्ष । अ्रडहुल-( हि०पुं०) गहरे लाल रंग का एक पुष्प विशेष, देवी पुष्प; जपा पुष्प । अड़ाइ-एिं०पुं०) पशुओं को बाँधने का न बाड़ा, ढेर, राशि । अ्ड़ाड़ा-हिं ० पुं०) ढकोसला । ०स््री* विश्वाम स्थान, पड़ाव; पथिकों के ठहरने का स्थान । ग्रड़ाना-हि०क्रि०) रोकना, ठहरना, टिकाना, आड़ देना, टेक लगाना, फॉसाना, ठंसना, भरना, ढरकाना (पुं०) टेक, रोक, ठहराव, एक राग विशेष । श्रडानी-(हिं०पु०) रोकने का साधन, ओट, बड़ी पंखी, मल्ययुद्ध का ए दॉव | '. अ्डार-(हिं०पुं०) ढेर, राशि, लकड़ी का ढेर, लकड़ी की दूकान । अड़ाल-(हि०पु) एक विशेष प्रकार का नाच । अडिग-(हिं०पुं०) निर्चठ, स्थिर । अ्रडियल-(हिं०वि०) अड़कर जानेवाला,. छीघ्र कार्य न करने वाला, हठी । अड़िया-हिपुं०) साधुओं की टेककर वेठने की कुबड़ी । (हि०ख्री ) रोक, हुठ, अवसर, अड़ान, (५०) ठहरी हुई, रुकी हुई । श्रड़ीखंभ-हिं० वि०) दाक्तिवान्‌, पुष्ट। झ्ड़ीठ-(हिं०दि०) अदुष्ट, गुप्त, (दि०पु०) पीठ पर का फोड़ा | ड़लना-(हिं ० क्रि०) उड़े लना, गिराना । अ्रड़ सा-हिं०पुं) एक भौषधि विशेष । श्रडयाना-(हिं०कि०) आश्रय देना । श्रडोल-हिं०दि०, न डोलनें वाला, स्थिर । श्रडोसपड़ोस-(हिं०पुं०) इधर, उधर, आस पास, समीप । श्रड़ोसीपड़ोसी- (हिं०पुं) समीप का रहने वाला, पास रहने वाला | ्रडडुन-(ं०नपुं०) ढाल । अडडा-हिं घ्युं) रहने का स्थान, निवास, डरा, एकत्र होने का स्थान, दुष्टों के इकट्ठा होने का स्थान, सेना के रहने का स्थान, पक्षियों के बैठने का स्थान, खरादने की लकड़ी, वेदयालय, करगह । झ्रूट्डी-हिं०खीन! लकड़ी छेदने की बरैमी । श्रढ़ तिया-हिं ०पुं) आढइत करने वाला, कमीशन पर माछ बेचने वाला, दलाल । आडंबर, ढोंग, न डोलन वाला, थााााश शी एसएसलट-, एडशकनकबन-,




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