पंचसंग्रह | Panchsangrhah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.71 MB
कुल पष्ठ :
251
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(३) बन्घमादयिको मोक्ष क्षाथिका। शामिकाश् ते | उभयं कुबते मिश्रा नोभयं पारिणामिका ॥ १४ ॥ मिथ्याद्टिजिनराचयो द्वितीय श्रस्तदशेन । ततीयाध्कथि मिश्रोउन्य सम्यरदष्टिसयतः ॥ रण ॥ संयतासंयतस्तस्मात्पंचम ुद्धटष्टिक । प्रमत्तसंयतः पष्टः सप्तमो्तोब्प्रमत्तक । १६ ॥। अपूर्वेकरणों देघाधनिवृत्तिकरणों द्विधा । हधा सक्ष्मकपायोज्त शमकक्षपकत्वत। ॥ १७ ॥ दान्तक्षीणकषायों सतो योग्ययोगों ततो जिनों । चतुदेशगुणातीता जीवाः सिद्धास्ततः परे ॥ १८ ॥ तच्वानि जिनदष्टानि यस्तथ्यानि न रोचते । मिथ्यात्वस्थादये जीवों मिथ्यादष्टिसो मत ॥ १९ ॥ संयोज॑नोदये श्रष्टो जीव प्रथमंदष्टितः । अन्तरों उनात्तमिथ्यात्वों बण्येते श्रस्तद्शनः ॥ २० ॥| घन्य समय काल प्रकष्टोशस्य पडाचलि । कथ्यतेउन्तेमुट्र तसय शेपभतों मनीपिभि। ॥ २१ ॥। सम्यार्मध्यारूचा श्र सम्याञ्ध्यात्वपाकत । सुदुष्करः प्रथरभावा दधिमिश्रयुडोपमः ॥ २२ ॥ पाकाचारित्रमोहस्य व्यसतप्राण्यक्षसंयमः । त्रिष्षकतमसम्यक्त्वः सम्यर्दष्टिसयतः ॥ २३ ॥। यस्त्राता त्रसकायानां हिंसिता स्थावराज्िनां अपकाष्टकपायो5्सां संयतासंयता मत ॥ २४ ॥। १ सासादुन । २ अनन्तानुबान्धचतुष्कादय । ३ उपशमसम्यक्त्वात् । ४ अन्तराठवता 4 ५ उपशमसम्यक्त्वकालस्य । ६ प्रार्णान्द्रियसंयमर हित
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