जापान का संक्षिप्त इतिहास | Japan Ka Sanchipt Itihas

Japan Ka Sanchipt Itihas by रामनारायण मिश्र - Ramnarayan Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उनेम से सिफ २०००० आदमी सरती किए गए। जो पूर्ण रूप से कघायद सीख लेता हे चह' “ज्ञातीय सेना” में भरती ता है। यह सेना ऐसे घिशेष अवसर पर जैसे कि रूस झौर जापान की लड़ाइ है, चुठाइ जाती है । सेना की वर्दी: योराप्यिन ड्ड की है | सैनिक शिक्षा ऐसी उसमप होती है कि सचारों को छोड़ कर और सब खिपाहों चार महीने बारिक में रइने पर छइने के छिपे तथ्यार होजति हैं । इसका विशेष कारण यह है कि कप्तान इत्यादि जितने उच्च पदाधिकारी हैं वे नर्वान प्रणाली में पूरे निपुण हैं और बहुत से लोगों नें विदेशों में इसकी शिक्षा पाई हैं। एक समय था कि जब सब सनापति विदेशी थे, अब सब खुशिक्षित ज्ञापानी हैं । बड़ा प्रदांसा की बात यह हे कि जापानी सिपाही नशेबाल भार दड्धा फूसाद करने बाले नहीं हैं। जापानी बाजारों में बढुघा सिपाददी लोग या तो चाह पाति हुए या. कोई पुस्तक मोल लेते हुए दिखलाइ देते हैं। परन्तु, मिस्टर स्टेड फे कथनाजुसार कोई सिपाही भी बहुत से अमेरिकन आर योरोपियन सिपाहियों की तरह नशे में च्यूर, दुड्ला फसाद करता छुआ कभी देखा नहीं गया, ओसाका में एक बन्दूक ढालने का कारखाना है चहां एक विशेष प्रकार की बन्दूक इंजाद की गई है । टो- कियों के कारखाने में ४०० बन्दु्कें सगीन सहित और २५०००० : रुरे पक दिन में तथय्यार होते हैं । यद्दां गोले और गोलियां भी बनाइ जाती हैं | जापान के जगी और तिजारती जहाज । पा ३ *+.. ७० # ट कर जापान टापूह। इस कारण समुद्र में सफर करने के लिये था बहुत पुरान समय से नावें; बड़े बड़े डॉ गे औौर एक प्रकार




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