कौमारभृत्य यथवा बालचिकित्सा | Kaumarabhrtya Athava Balchiktsa

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Kaumarabhrtya Athava Balchiktsa by जगंदास्कर औषधालय - Jagandaskar Aaushdhalay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(६ ऐ घलपर्षक, फ़रफनाशफ शरीर फु्फूस की शयासक्रिया को ठीक फरने चाली हैं । इमारी राय में यदि यदद प्रयोग उचिठ समय पर काम में लायें जावे त| दालकों को अधिक सत्यु का परि- माण भी कम हो जाय । इस स्थान पर हम छापने कई धार काम में लाये हुये झुभू-त के एक पयाग योर लिखते हें । '्याशा हैं, गुणा, प्राह्यो सज्जन इसको झवश्य ध्ययददार में लायेंगे । मीठा फूठ ३ मासे शहद ६ मासे: मीठी बच ३ मासे घों ३ मासे. सोने के पर्क ६ रसी. चूद श्र बचकों सरल में डालकर खूब बारीक करलो, जिसमें यद काजल जैसे दोजाय । फिर घी थर शदद मिलाए कर धोटों । वाद में सोने के बारीक बर्क मिलाफर घोद दो 1 खूच यारीफ घोटने से यह कीट जैसा वन जातादे । कएड साफ करने के याद बालक फो यददी झवलेद शदद के द्वारा सर भी पतला करके. ४ रत्ती के परिमाए में दिल से पक थार चटादें 1 यदद क्रम जब तक घालक एक मास फा न हो यरावर जारी रकसें | यह दूचा एक वार बनाकर सुरक्षित रखने स १ सप्ताइ सक काम देती दे । यदि फाई विशेष दिन तक रखना चाहें तो कूठ, बच 'और सोनेके वर्कोकों दो दिनतक खूब धारीक युटाई करके रख छोड । जद झावश्यफता हों इसे एक रत्ती अमाण लेकर दो रत्ती शदद छीर पक रत्ती घी मिल्प्रदर चदा दियाकरें।




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