कौमारभृत्य यथवा बालचिकित्सा | Kaumarabhrtya Athava Balchiktsa
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.92 MB
कुल पष्ठ :
169
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(६ ऐ
घलपर्षक, फ़रफनाशफ शरीर फु्फूस की शयासक्रिया को ठीक
फरने चाली हैं । इमारी राय में यदि यदद प्रयोग उचिठ समय
पर काम में लायें जावे त| दालकों को अधिक सत्यु का परि-
माण भी कम हो जाय । इस स्थान पर हम छापने कई धार काम
में लाये हुये झुभू-त के एक पयाग योर लिखते हें । '्याशा हैं, गुणा,
प्राह्यो सज्जन इसको झवश्य ध्ययददार में लायेंगे ।
मीठा फूठ ३ मासे शहद ६ मासे:
मीठी बच ३ मासे घों ३ मासे.
सोने के पर्क ६ रसी.
चूद श्र बचकों सरल में डालकर खूब बारीक करलो,
जिसमें यद काजल जैसे दोजाय । फिर घी थर शदद मिलाए
कर धोटों । वाद में सोने के बारीक बर्क मिलाफर घोद दो 1
खूच यारीफ घोटने से यह कीट जैसा वन जातादे । कएड साफ
करने के याद बालक फो यददी झवलेद शदद के द्वारा सर भी
पतला करके. ४ रत्ती के परिमाए में दिल से पक थार चटादें 1
यदद क्रम जब तक घालक एक मास फा न हो यरावर जारी
रकसें | यह दूचा एक वार बनाकर सुरक्षित रखने स १ सप्ताइ
सक काम देती दे । यदि फाई विशेष दिन तक रखना चाहें तो
कूठ, बच 'और सोनेके वर्कोकों दो दिनतक खूब धारीक युटाई
करके रख छोड । जद झावश्यफता हों इसे एक रत्ती अमाण
लेकर दो रत्ती शदद छीर पक रत्ती घी मिल्प्रदर चदा दियाकरें।
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