मिश्रबन्धु विनोद | Mishra Bandhu Vinod
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20.29 MB
कुल पष्ठ :
642
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रूचदास | पूर्वालंकृत प्रकरण । ४४७
चार इस विषय के कितने दी श्रंथ संपादित करके उन्होंने नागरी-
प्रचारिसी सभा द्वारा तथा अन्य प्रकार से श्रकादित कराये ।
उनका यद श्रम बहुत ही प्रदांसनीय श्रार उनके विचार माननीय
हैं | इन्हों मद्दादाय ने धुवदास की भक्त नामावली को भी नांगरी-
प्रचारिणी श्रथमाला में प्रकादित कराया । यद्द केवल १०
पृषों का ग्रंथ है, परंतु टिप्पणी व सुखदंध इत्यादि मिला कर '
बावू साहेब ने इसे ८८ पृष्ठों में सुद्रित किया है। यदद लेख उन्दीं
के चिचायें के आधार पर लिखा गया है ।
घ्रुचदास ने निम्न लिखित छेटे छेटे श्रंथ निमाण किये +--
बानी; चन्दाबनसत, सिंगारखत, रसरलावली, नेदमंजरी;
रहदसिमंजरी, सुखमंजरी, रतिमंजरी, बनविह्दार, रगविहार;
रसविद्दार, आनंद्द्शाविनाद, रंगविनादु, नितेबिलास, रग हुलास,
मानरसलीला, रददसिलता, प्रेमठता, प्रेमावली, भजनकुंडछी, बावन-
चूद्दत्पुराण की भाषा, भक्तनामावली, मनसिंगार; भजन सत,
सभामंगल म्ठ'गार, मनशिक्षा, प्रीतिचावनी, मानविनाद, ब्यालिख
बानेा, रसमुक्तावली, श्राौर समामंडली । इनमें सभामंडली सब
२६८१ में, दन्दाबन सत १६८६ में, भ्रेर रदखिम जरी संवत् १६९८ में
जनों । दोष श्रंथां का समय नद्दों दिया है। राससवेस्व से विदित
हेता है कि घ्रुवदास जी रासलीला के बड़े अजुरागी एव' करहदली
ग्राम चाले रासघारियें के बड़े प्रेमी थे । भक्तनामावली में श्रूव-
दास ने १२३ भक्तों के नाम श्रार उनके कुछ कुछ चरित्र लिखे ।
बाबू राघाझुष्णदास ने उनमें से प्रत्य क के विषय धघमश्रन्थों श्रार
इतिददासें में जा कुछ मिठता दै; उसको बड़े परिश्रम से इस श्रंथ
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