वृद्धअवस्था | Vradhaavasthaa
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.61 MB
कुल पष्ठ :
74
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आगे बढ़ने के लिए गुणा फ है (चित्र 3) । दोनों तंतु बीच में क्षारों के कमजोर बंधों से जुड़े होते हैं। एडेनीन सदैव धायमीन के साथ जुड़ता है और ग्वानीन हमेशा साइटोसीन से जुड़ता है। इस प्रकार एक तंतु के क्षार अनुक्रम सदैव दूसरे तंतु के क्षार अनुक्रमों के पूरक होते हैं। ये क्षार अनुक्रम ही हैं जो जीव में वृद्धि और विकास के लिए वास्तविक संदेश ले जाते हैं। प्रत्येक जीव अपने आप में बेजोड़ होता है क्योंकि हर जीव के डी एन ए में क्षारों का अनुक्रम विशिष्ट होता है । इसका अर्थ हुआ कि विकास प्रक्रिया के दौरान जन्म लेने वाले प्रत्येक एककोशिकीय जीव में डी एन ए विशिष्ट होता है इसीलिए कोशिका में बनने वाले प्रोटीन और अन्य अणु भी विशिष्ट प्रकार के होते हैं । अनुमान है कि इ. कोलाई नामक जीवाणु में लगभग 3 000 प्रोटीन होती हैं। एक मानव शरीर में लगभग 100 000 विभिन्न प्रकार की प्रोटीन होती हैं । पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवों की प्रजातियों की संख्या (दस लाख से भी अधिक) को देखते हुए सजीव संसार में विभिन्न प्रकार की प्रोटीनों और अन्य अणुओं की विपुलता की कल्पना की जा सकती है । यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस अतिशय विविधता में क्षार श्रृंखलाओं की विविधता और ठिकास की प्रक्रिया के दौरान यह रसायन किस प्रकार अपने क्षार अनुक्रम को बदलता है यह उस रहस्यमय विधि में निहित है। किसी सजीव के अनेक उत्कृष्ट गुणों में से एक है ठीक ढंग से प्रजनित होना । इसका अर्थ है कि संतति कोशिका में आनुवंशिक पदार्थ डी एन ए की हूबहू प्रतिकृति मौजूद हो जिसका पुनः यही अर्थ है कि संतति कोशिका के डी एन ए में क्षारों का अनुक्रम जनक कोशिका के बिलकुल समान हो। आइए अब हम देखें कि आदिम एककोशिकीय जीवों ने किस प्रकार अपनी प्रतिकृतियां तैयार कीं । सबसे प्राचीनतम सूकष्मतम और सरलतम जीव है सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकने वाला एककोशिकीय जीवाणु । जीवाणु हर उस जगह पाए जाते हैं जहां जीवन पाया जा सकता है। जीवाणु आमतौर से अलैंगिक विधि से प्रजनित होते हैं जिसे युग्म विभाजन केहते हैं । इस प्रकिया में आनुवंशिक पदार्थ (डी एन ए) पहले स्वयं को द्विगुणित करता है। इसके बाद कोशिका स्वयं को फैलाती है और बीच में नयी कोशिका भित्ति बनने के साथ ही दो में विभाजित हो जाती है। इस प्रकार पूरी कोशिका अंत में दो संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है जिनमें से प्रत्येक में आनुवंशिक पदार्थ की एक जैसी प्रतिकृतियां मौजूद होती हैं । आदर्श परिस्थितियों में एक जीवाणु में इस विभाजन में लगभग 20 से 30 मिनट का समय लगता है। युग्म विभाजन द्वारा अलैंगिक प्रजनन का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने से एक
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