अभिनव प्राकृतिक चिकित्सा | Abhinav Prakratik Chikitsa

Abhinav Prakratik Chikitsa by कुलरंजन मुखार्जी - Kulranjan Mukhaarji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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औषधिकी विष-क्रिया झ कहना है औषधियोंका_स्वाभाविक गुण बहुत दी कम सादम है । झपनी अज्ञानताकों _ छिपानेके लिये हम लोग औषधि शब्दका व्यवहार करते हैं । तव औषधियों द्वारा इस प्रकार परीक्षा किये जानेपर यदि एक रीगकी . औषधि दूसरे रोगमें दी जाये तो आश्चर्य ही क्या है १. प्रन्दु गलत .दवा._ का. इस्तेमाल बड़ा ही खतरनाक है । गलत दवा देने भौर जहर. देनेमें कोई अन्तर .नहीं है ।. इससे ग्रत्यु हो जाना.कोई आश्चर्यकी वस्तु नहीं । जड़े-बढ़े._...अस्पतालोंकी .... वीर-फाड़की _ रिपोर्टों से इसका कुछ-ऊछ पता चलता है .कि. डाक़्टरोकी रोग-निर्णय-प्रणाली कितनी अनिश्चित है । अमेरिकाके एक . प्रसिद्ध अस्पताल (106 95890 08618 (60ढ्ए- 81 नि 05[1081) के चीर-फाड़-विभागके . प्रधान .सि० . केवटने. . कहा है .. एक ._.हजार _लादोकी परीक्षा करके देखा गया है ..कि..प्रतिशत ... 5३ _ रोगियोंका तो ठीक-ठीक रोग-निदान हुआ था ४९. प्रतिशत रोगियॉका निदान... गलत था | पिता किले का कै पि ननकिाकर्ट्िंए0 0. केक छा पाला कफ पघि०5 2. 34-38 1 इन... 2७ प्रतिशत रोगियोंको भी तो दवा ही दी गयी थी पर उसे. . औषधि न कदकर विष कहना ही. अधिक उपयुक्त होगा। क्योंकि गलत दवा और. .विष्र देनेमें बहुत .कम अन्तर है । इससे खत्यु होनी कोई असं- भव नहीं । अतएव जो अभागे अकाल दी काल-कवलित हुए उन्हें रोगने ही नहीं सारा डाक्टर भी उनकी सत्युके लिये समान भावसे दोषी .हैं । तब अभिन्न चिकित्सकोंकि हार्थोंसे ही यह सत्यु हुई है। नवसिखिया ढावररोंके दार्थों हो सकता है कि स्रत्यु-संख्या और भी अधिक होती । त पर-धीरे-घीरे ये अजुभवी हो जाते हैं--शतमारी भवेत _वेद्य सहस्ममारी | चिकित्सक । अतःडा० मेसनगुडढ जब कहते हैं प्रथ्वीपर डाक्टरॉने -जितने । । लोगोंक़ो .मारा है युद्ध दुिश्ष तथा मददामारी आदि समस्त उपद्रवों /




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