मीराँ सुधा - सिन्धु | Meera Sudha-sindhu
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
65.37 MB
कुल पष्ठ :
1070
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about स्वामी आनन्द स्वरुप - Swami Aanand Swaroop
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ड भला जिसकी मात्रभाषा हिन्दी नहीं भाषा का अभ्यास नहीं लेखन-शेली का अनुभव नहीं साहित्य केत्र में प्रवेश नददीं ऐतिहासिक गति नहीं और मीरों सम्बन्धी झावश्यक साहित्य- सामग्री भी पययांप्त नहीं उस व्यक्ति का जीवन में प्रथम बार मीरों जेंसी विभ्रूति पर कुछ लिखने का विचार करना यह श्न- घिकार चेष्टा नहीं तो झोर क्या उपयु क्त अनेक विचार मन में मेंडराकर विकल करने लगे । झंत में केवल भक्ति व भावना की दृष्टि से मीरों का स्वतंत्र रूप से भाव-चरित्र लिखना विचार लिया । वास्तव में देखा जाय तो मीरों की भक्ति प्रेम त्याग अनन्य निष्टा संत-श्रद्धा व संवाभाव आदि को लेकर तो किसी के भी दो मत नहीं हैं । सन्तों के जीवन-प्रसंगों से उनकी बनाई वाणी ओर उपदेशों से संसारी जनों को आत्म-कल्याण के लिये आवश्यक साधन- चिधि प्राप्त हो ही जाती हे यही नहीं उनके नाम श्र जीवन लीला के गुण गान से ही मुमुन्नु जनों का उद्धार हो जाता हैं । यह सोचकर भक्ति व प्रेम का लय रखकर मीरों के जीवन- प्रसंगों पर बहुत से पृष्ठ लिख डाले परन्तु लिखते-लिखते फिर यह झनुभव हुआ कि जब तक ऐतिहासिक दृष्टि से मीरों की जीवनी का कोई स्थूल ढांचा अथवा कुछ अंश में एक निश्चित रूप-रेखा नहीं बन पाती तब तक कुछ लिखना दुःसाइस होगा । तब जितना भी भाव चरित्र लिखा गपा था उसे बसा दी झघूरा छोड़कर मीरों के सम्बन्ध में यथा शक्ति झन्वेपण एवं जहाँ कह्दीं से प्राप्त दो पदों को एकत्रित करने की झओर प्रदत्त हो गया । किन्तु कार्य करते करते कई बाधाओं की परिस्थिति का झनुभव
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