ताबीज | Tabiz
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
404.79 MB
कुल पष्ठ :
164
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तासरा पॉरच्ट
लक
९
नहीं माना जब कि तुमने शराब्र पी दर सत्र का सांस स्वाया । मैंने
तुमे करन दिया लिये तम इसाइयों की स्वाशीनता कहते
हो । मेरी दी बाते तुम्ट क्यों चुरी लगीं ! मेने तो सिर्फ़ यहीं किया है कि
यह बुरा मार्ग किसी तरह प्रसस्नता के साथ कट जाय । इसी विचार से
मैंने दो एक चीजें गा दीं ।
इसाई ने कद. मित्र तुर्क ! में सद्गीत प्रेम की निन्दा नहीं करता ।
परन्तु यदि लोग इन भूत-प्रेतों से पूर्ण घाटी से जा रहे हो तो उस
समय प्रेम-गीतों श्ौर शराब के गीतों की अपेक्षा प्रा८ना भर
अधिक उपयुक्त हैं ।
सूथ्यास्त हो जान से प्रकाश मन्द पड़ता जा रहा था, तो भी ईसाई
सानिक ने जान लिया कि वे दी दोनों उस जंगल में श्रकेले
नहीं पा रहे
थे; किन्तु उनका एक बहुत दुवला और बहुत लम्बा आदमी पीछा करता
झा रहा था । यह द्ादमी भाइयों दौर चड्ानों को पार करता चला
ऋ रहा था । वह दाग बढ़कर उनके रास्ते पर चड़ान द्योर भाड़ी की
झड़ में छिपकर जा स्वड्टा हुआ । जब वे दोनों यात्री उस जगह पहँ!
तब उसने बादर माग मे आकर एकाएक आपने दोनों दाधों में तर्क के
घोड़े की लगाम थाम ली । घोड़ा चौंक पड़ा आर पिछले पैगी के वल खड़ा
दो गया । तुर्क ने एकाएक गिर पड़ने से एक ओर कृदकर श्पने के बड़ी
सावधानी से बचा लिया ।
तब उस श्रादमी ने घोड़े की लगाम छोड़ दी तौर उछलकर सवार
का गला जा पकड़ा । इसके वाद वह उस पर चढ़ बैठा । यद्यपि तुर्क
सवार जवान शरीर तेज़ श्रा; पर उसकी एक न चली, उते वह अपने
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