ताबीज | Tabiz

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Tabiz by सूर्य वर्मा - Surya Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तासरा पॉरच्ट लक ९ नहीं माना जब कि तुमने शराब्र पी दर सत्र का सांस स्वाया । मैंने तुमे करन दिया लिये तम इसाइयों की स्वाशीनता कहते हो । मेरी दी बाते तुम्ट क्यों चुरी लगीं ! मेने तो सिर्फ़ यहीं किया है कि यह बुरा मार्ग किसी तरह प्रसस्नता के साथ कट जाय । इसी विचार से मैंने दो एक चीजें गा दीं । इसाई ने कद. मित्र तुर्क ! में सद्गीत प्रेम की निन्दा नहीं करता । परन्तु यदि लोग इन भूत-प्रेतों से पूर्ण घाटी से जा रहे हो तो उस समय प्रेम-गीतों श्ौर शराब के गीतों की अपेक्षा प्रा८ना भर अधिक उपयुक्त हैं । सूथ्यास्त हो जान से प्रकाश मन्द पड़ता जा रहा था, तो भी ईसाई सानिक ने जान लिया कि वे दी दोनों उस जंगल में श्रकेले नहीं पा रहे थे; किन्तु उनका एक बहुत दुवला और बहुत लम्बा आदमी पीछा करता झा रहा था । यह द्ादमी भाइयों दौर चड्ानों को पार करता चला ऋ रहा था । वह दाग बढ़कर उनके रास्ते पर चड़ान द्योर भाड़ी की झड़ में छिपकर जा स्वड्टा हुआ । जब वे दोनों यात्री उस जगह पहँ! तब उसने बादर माग मे आकर एकाएक आपने दोनों दाधों में तर्क के घोड़े की लगाम थाम ली । घोड़ा चौंक पड़ा आर पिछले पैगी के वल खड़ा दो गया । तुर्क ने एकाएक गिर पड़ने से एक ओर कृदकर श्पने के बड़ी सावधानी से बचा लिया । तब उस श्रादमी ने घोड़े की लगाम छोड़ दी तौर उछलकर सवार का गला जा पकड़ा । इसके वाद वह उस पर चढ़ बैठा । यद्यपि तुर्क सवार जवान शरीर तेज़ श्रा; पर उसकी एक न चली, उते वह अपने




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