साभाष्य तत्वार्थाघिगमसूत्रकी | Sabhashyatatvarthadhigamsuthrah

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sabhashyatatvarthadhigamsuthrah by खूबचन्द शास्त्री -Khubchand Shastri

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about खूबचन्द शास्त्री -Khubchand Shastri

Add Infomation AboutKhubchand Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सभाष्यतल्वाथोधिगमसत्रकी क १ दि० स्वे० सूत्ोका भेदप्रदर्शक कीछक, १४ १ वर्णानुसारी सूत्रानुकमाणिका २०७ सम्बन्धकारिका । विषय ह मंगल ओर प्रंथकी उ्पत्तिका सम्बन्ध , , मनुष्यका अन्तिम वास्तविक साध्य- मोक्ष-पुरुषार्थथीसिद्धिकें लिये निदोष प्रवृत्ति श विषय १ | जिस प्रकार सूथंके तेजकी कोई आन्छादित २ | (ढँक) नहीं सकता, उसी प्रकार तीर्थंकर द्वारा उपदेश किये अनेकान्त सिद्धान्तकों एकान्तवादी प्र करो, जो यह न बने, तो यत्नाचारपूर्वक ऐसी मिलकर भी पराजित नहीं कर सकते, न प्रतनत्ति करों, जो, पुष्यवंधका कारण ही- २ | भगवानमभद्दावीरकों नमस्कार, उनकी देशनाॉ-उ१- प्रवत्ति करनेवाले मनुष्यों ओर उनकी प्रश्नत्तियोंकी देशका महत्त्व ओर वक्ष्ममाण विषयकी प्रतिज्ञा १४ जघन्य मध्यमोत्तमता, औरन करनेवालेकी अधमता ३ | भगवानके वचनोंके एकदेश संग्रह करना भी उत्तमोत्तम पुरुष कोन है क हे | बड़ा ठुष्कर है. 11 अरहंतदेवकी पूजाका फल और उसकी संपूण जिनवचनके संग्रहकी असंभवताका भांगम- आवश्यकता रा ४ | प्रमाण द्वारा समथन १३२ अरहंतदेव जब ऋृतह॒त्य हैं, तो वे उपदेश भी... ५ ितार्थ किस कारण देते हैं! ४ | अनबन शुनमैवारे सौ रे उपयुक्त शंकांका समाधान ५ | मिनवचन सुननेवा ली २ व्यास्यान करने तीथेकरकर्मके कार्यकी दृशन्त द्वारा सता ५ | 1जेंकी फल-आपि वि कक अंतिम तीथंकर श्रीमहावीर भगवानका स्मरण कप 8 लग लिये बक्ताओंको महावीर शब्दकी व्याख्या ६ | उत्साहित करना हे भगवानके गुणोंका वर्शन ७ | वक्ताओकी सदा श्रेयो-कल्याणकारी भार्गका ही भगवानने जिस मोक्षमागेका उपदेश किया उपदेश देना चाहिए परे उसका संक्षिप्त सरूप, तथा उसका फल ९ | वक्तव्य विषयकी प्रतिश्ञा १४ १ प्रथम अध्याय । कि पृष्ठ द्रव मोक्षका स्वरूप क्र १५ | निर्देश, स्वामित्व आदि छह भनुयोगोंका स्हूप २७ सम्यग्दशनका लक्षण ह १७ | १ सत्‌,२ संख्या ३ क्षेत्र, ४ स्प्षन, ५ काल, ६ अन्तर, सम्यग्दशैनकी उत्पत्ति जिस तरह होती है, उसके ७ भाव और अस्पबहुतल, भाठ अनुयोगोंका सरूप ३१ दो हेतुओंका उल्लेख 14 | ज्ञानका बणैन ३१ निसगे ओर अधिगम सम्यस्द्शनका स्वरूप १९ | प्रमाणका वणैन जीव अजीव आदि सात तत्त्वोंका हे अजीव आदि सात तत्तोंका स्वरूप २१ | परोक्षका स्वरूप ओर उसके भेदेंका बेन १५ तत्त्वोंका व्यवहार किस तरह होता है? २२ । अत्यक्षका स्वरूप और उसके भेदेंका बपीनि १५ नाम, स्थापना, द्रव्य और भावका खरू्प ..._. ३२३ | भतिश्ञानके भेद १७ जीवादिक पदार्थोके जाननेके और उपाय २५५ का. सामान्य रक्षण . अमाण और नयका स्वरूप नह झा पा लावा २६ । अवप्रह, ईहा, अपाय, धारणाका स्वरुप १८




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now