साभाष्य तत्वार्थाघिगमसूत्रकी | Sabhashyatatvarthadhigamsuthrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
107 MB
कुल पष्ठ :
498
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सभाष्यतल्वाथोधिगमसत्रकी
क
१ दि० स्वे० सूत्ोका भेदप्रदर्शक कीछक, १४
१ वर्णानुसारी सूत्रानुकमाणिका
२०७
सम्बन्धकारिका ।
विषय ह
मंगल ओर प्रंथकी उ्पत्तिका सम्बन्ध , ,
मनुष्यका अन्तिम वास्तविक साध्य-
मोक्ष-पुरुषार्थथीसिद्धिकें लिये निदोष प्रवृत्ति
श
विषय
१ | जिस प्रकार सूथंके तेजकी कोई आन्छादित
२ | (ढँक) नहीं सकता, उसी प्रकार तीर्थंकर द्वारा
उपदेश किये अनेकान्त सिद्धान्तकों एकान्तवादी
प्र
करो, जो यह न बने, तो यत्नाचारपूर्वक ऐसी मिलकर भी पराजित नहीं कर सकते, न
प्रतनत्ति करों, जो, पुष्यवंधका कारण ही- २ | भगवानमभद्दावीरकों नमस्कार, उनकी देशनाॉ-उ१-
प्रवत्ति करनेवाले मनुष्यों ओर उनकी प्रश्नत्तियोंकी देशका महत्त्व ओर वक्ष्ममाण विषयकी प्रतिज्ञा १४
जघन्य मध्यमोत्तमता, औरन करनेवालेकी अधमता ३ | भगवानके वचनोंके एकदेश संग्रह करना भी
उत्तमोत्तम पुरुष कोन है क हे | बड़ा ठुष्कर है. 11
अरहंतदेवकी पूजाका फल और उसकी संपूण जिनवचनके संग्रहकी असंभवताका भांगम-
आवश्यकता रा ४ | प्रमाण द्वारा समथन १३२
अरहंतदेव जब ऋृतह॒त्य हैं, तो वे उपदेश भी... ५ ितार्थ
किस कारण देते हैं! ४ | अनबन शुनमैवारे सौ रे
उपयुक्त शंकांका समाधान ५ | मिनवचन सुननेवा ली २ व्यास्यान करने
तीथेकरकर्मके कार्यकी दृशन्त द्वारा सता ५ | 1जेंकी फल-आपि वि कक
अंतिम तीथंकर श्रीमहावीर भगवानका स्मरण कप 8 लग लिये बक्ताओंको
महावीर शब्दकी व्याख्या ६ | उत्साहित करना हे
भगवानके गुणोंका वर्शन ७ | वक्ताओकी सदा श्रेयो-कल्याणकारी भार्गका ही
भगवानने जिस मोक्षमागेका उपदेश किया उपदेश देना चाहिए परे
उसका संक्षिप्त सरूप, तथा उसका फल ९ | वक्तव्य विषयकी प्रतिश्ञा १४
१ प्रथम अध्याय ।
कि पृष्ठ द्रव
मोक्षका स्वरूप क्र १५ | निर्देश, स्वामित्व आदि छह भनुयोगोंका स्हूप २७
सम्यग्दशनका लक्षण ह १७ | १ सत्,२ संख्या ३ क्षेत्र, ४ स्प्षन, ५ काल, ६ अन्तर,
सम्यग्दशैनकी उत्पत्ति जिस तरह होती है, उसके ७ भाव और अस्पबहुतल, भाठ अनुयोगोंका सरूप ३१
दो हेतुओंका उल्लेख 14 | ज्ञानका बणैन ३१
निसगे ओर अधिगम सम्यस्द्शनका स्वरूप १९ | प्रमाणका वणैन
जीव अजीव आदि सात तत्त्वोंका हे
अजीव आदि सात तत्तोंका स्वरूप २१ | परोक्षका स्वरूप ओर उसके भेदेंका बेन १५
तत्त्वोंका व्यवहार किस तरह होता है? २२ । अत्यक्षका स्वरूप और उसके भेदेंका बपीनि १५
नाम, स्थापना, द्रव्य और भावका खरू्प ..._. ३२३ | भतिश्ञानके भेद १७
जीवादिक पदार्थोके जाननेके और उपाय २५५ का. सामान्य रक्षण
. अमाण और नयका स्वरूप नह झा पा
लावा २६ । अवप्रह, ईहा, अपाय, धारणाका स्वरुप १८
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