अवतार मीमांसा | Awtar Mimansa

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गोपालदास 'नीरज ' - Gopaldas 'Niraj'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छह
1 »%/ ॥|
७ का्ण: पञ्चकसाः ॥
फरश्धि ध्यान परायण्गों सुगण।ते,
घेदान्तेवु यति पिंदार चतुरो,
कश्थिज्ञ्षतव्ल चराचरेप्वचपलो
कोलिन्दी पुलिनेषु तत्च ग्टगये
बेकुएठे विविधाश्व वेंप्णवजना,
गोलोाओ शुरवश्य फ्रेचन सदा,
लोके फेचन केशव श्ुतिवचरो,
जाने नन््द धृपालये तमधुना,
कृष्ण चारू अतुभुजश्य चतुरा,
ईैशं फेचन भारुकरं स्िनयनं,
जाने त॑ परमेश्वरं॑ टिनयनं,
चंशी बादन _त्तत्परं प्रियवरं,
पूर्ण निर्युशा मक्किय॑ चितिमयं,
मानन्दं तन्नु नाम रूप चिघर,
बरदार्ण्स कदम्व कुच्ज तलिते
मन्ये नृत्यपरं प्रभ प्रिय तरं,
शीर्पेबदंधघरं सु चेतस करें,
मन्ये वे बन मालया सशि मयेः,
गोपं॑ गोप शुतक्ष भेन्चजुगतं,
वाम॑ काम कर स्तर कान्ति कथलं,
रृष्णं स्वकोये हृदि,
मन्ता सुनिः स्वात्मनि ॥
नाना क्रिया कम छु.
कार्य्जिस्त्वहं कम्घन ४ ९ #
ज्ञानन्ति रृष्छ स्थित,
कीराब्यि धाप्रोश्यरम् ॥
मिन्न॑द्षस्यो बैदिका,
का्णिध्त्यह कम्धत॥ २ |
जानग्ति पौरा रिएका,
नागाननं केचन ॥#
कृष्ण द्वि बाहूुं बजे,
काध्णिस्त्वहं कम्यन ॥ ३ ॥
ज्योत्तिः स्वरूप पविभु,
कश्विज्लनो मन्यते ॥
रासोत्सवे स पिय॑,
काप्णिस्त्वद कश्यन 0 ४ १
बविस्वाधरं श्यामलं,
शी सरडने मंण्डितम॥
अह्य डितौय॑ परे,
कार्प्णिसत्वई कंब्यन॥ प ॥
इति ञरो स्वामि कार्चि गोपालदास पिनिपितं कार्प्िपद्धकं
समामनश 1
User Reviews
No Reviews | Add Yours...