देव - वाणी भाग - 2 | Dev - Vani Bhag - 2

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Dev - Vani Bhag - 2  by ताराचन्द्र जी महाराज - Tarachandra Ji Maharaj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ताराचन्द्र जी महाराज - Tarachandra Ji Maharaj

Add Infomation AboutTarachandra Ji Maharaj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( २३ ) क साथ लेरर ऋद्धि सददित निनेद्र देय पी चेरी बन कर सेवा फरदी | है. । थै”मा फरे पूला स्तुति गुण भाम गाय अति सुशी हर्ष के साथ 1 प्रेम से और भगरंत दी वानी मुने आपद माने ॥२४८॥। । घौसठ साठ इतार समानिर ह चररेंद्र ब्चेन्र किमारे। पृष्ठ सदमयुते घरणादिक व्यवर ज्योतिछ चार हजारे ॥ . चार अस्मीय अस्प्रीय बदतर सचर साठ पचास मुमारे। चालीस हीम सुपीस दसो मधवादि सहस सुशोमत सारे ॥२०६॥ अथ --दृरलोक के इन्द्रां बे समानी देगों की सरया चमरेद्र क्रे समानी देय (६४०००) हज़ार हैं पर्सेट्र के देव समानी देव (६००००) इचार हैं. । धरणेन्द्र के समानी देव ६ इज़ार हैँ. याण ब्यवर के इठठों के चार २? हतार समानीऊ हे देव। ज्योतिषियां के इन्द्रों के समानिऊ देव हैँ (४०००) दतार। शरे नद्र के (८००००) हैं. समानिर देव । ईशानेंद्र के (५००००) समानिक देव हैं.। सतहुमारेद्र के समानिकरे देव (5२००००) दतार दे।मादेद्र के (७००००) हैँ समानीक देव अक्षे न्द्र के (६००००) दतार समानिऊ देव हैं.। लावफ्ंद्र के (५००००) हयार दृव समानीऊ दे। महागुक्रेन्द्र क (४००००) हजार समानिऊ देव है। संदसारेंन्द्र के (३००००) हजार देय समा निऊ है.। प्राशतके (२००००) इतर दंग समानिऊ हैं.। अच्युवेदद्ग के (१००००) दजार देव समानिक है। यद सन समानीऊ देर सत्री बन्नीखा कह दे ऐसे सर इन्द्र सोमा पाते हैं। और इना से चार शुणे आत्म रक्षा के लिये चौरीदार बत्‌ पदुर देते हैं, इन्द्र मरुरा् के पास इरदुम ॥;४छ॥।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now