कोकसार वेधक | Koksaak Vedhak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
278
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रु
* बड़े कामकी वस्तु हे इसमें शिरसे पांवत-
कके खव रोगोंके छक्षण निदान ओर
उनके नुसखें एक २ रामपर दश दश पीस ही
२ दिये हे, ..... नव *« «»«» के रैनछ ०»॥
४४२ जायुर्वेदाचिन्तामाणि जर्थात् मिआनिषंदु-(चरक,
झुद्युत, वाग्मठ) मायप्रकाश, राजनिषण्डु, सात्रैय-
संहिता, राजवक्लषम और वैद्यक निंदु इस्यावि
झनेक ग्रंयेसि संग्रहीत और मनुवादित, )क १-१५ ०-३
६४३ छपदंशतिमेर ( गर्मी )नाशक माषामें के ७>डहे «०-])|
६४४ कूटमुद्तराख्यसलटीक. «« «*« (१) ०-१ ०-॥
५६४५ कूरमुद्गर भाण्दी० . «« बन» कफ ०-२५ «-]]
कुमारतंत्र रावणकृत भाषाटीका ««« खे *-< ०-१
६४६ केशकर्पद्ठम इस पुस्तकर्में १०१ उत्तम
चप्तख्ते बहुत उत्तम वाड्ोंको काछा करनेके
ठ्खि हैं, कर०>. ०३०. *०० »*०«० के ०-४ »«|])
६४७ चण्योचेद्रादय सापाद्ैका व्यंजन
जनानेका अ्ंय... ««» *«» +«» के ऐड ०-२
६७८ चरकसंहिता-(३रक्ऋषिप्रणीत) टीफा
ट्यसाछ निवासी वेद्यपथ्चानन पें०
रामप्रसाद वैद्योपाध्यायक्ृत प्रसादनी
भापायैकासहित | चरक््के आठोस्यान
एक्से एक अपूर्य होनेपरमी “उचोके-
त्सास्थान ” तो अद्वितीय है उसमें
निरोग मनुप्यक्के टिये वे सहजप्रयोग
छिसे हू कि, वह कभी बीमारी
नहो ओर रोगी सेकित्सा करनेपर
तत्शाठऊ निरोग हो | बैद्यमातत्नो यह
अन्य अपन्य संग्रह करना चाहिये।
पहलेसे अबफ्ीवार बहुत वटा होगया
“ है जिमतती झुन्दर मुनहरी दो जिन्द
बन्धी है... «५ न«»न ह गए ०» से ९-० ब-क
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