कोकसार वेधक | Koksaak Vedhak

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Koksaak Vedhak by नारायण प्रसाद मिश्र - Nrayan Prasad Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रु * बड़े कामकी वस्तु हे इसमें शिरसे पांवत- कके खव रोगोंके छक्षण निदान ओर उनके नुसखें एक २ रामपर दश दश पीस ही २ दिये हे, ..... नव *« «»«» के रैनछ ०»॥ ४४२ जायुर्वेदाचिन्तामाणि जर्थात्‌ मिआनिषंदु-(चरक, झुद्युत, वाग्मठ) मायप्रकाश, राजनिषण्डु, सात्रैय- संहिता, राजवक्लषम और वैद्यक निंदु इस्यावि झनेक ग्रंयेसि संग्रहीत और मनुवादित, )क १-१५ ०-३ ६४३ छपदंशतिमेर ( गर्मी )नाशक माषामें के ७>डहे «०-])| ६४४ कूटमुद्तराख्यसलटीक. «« «*« (१) ०-१ ०-॥ ५६४५ कूरमुद्गर भाण्दी० . «« बन» कफ ०-२५ «-]] कुमारतंत्र रावणकृत भाषाटीका ««« खे *-< ०-१ ६४६ केशकर्पद्ठम इस पुस्तकर्में १०१ उत्तम चप्तख्ते बहुत उत्तम वाड्ोंको काछा करनेके ठ्खि हैं, कर०>. ०३०. *०० »*०«० के ०-४ »«|]) ६४७ चण्योचेद्रादय सापाद्ैका व्यंजन जनानेका अ्ंय... ««» *«» +«» के ऐड ०-२ ६७८ चरकसंहिता-(३रक्ऋषिप्रणीत) टीफा ट्यसाछ निवासी वेद्यपथ्चानन पें० रामप्रसाद वैद्योपाध्यायक्ृत प्रसादनी भापायैकासहित | चरक्‍्के आठोस्यान एक्से एक अपूर्य होनेपरमी “उचोके- त्सास्थान ” तो अद्वितीय है उसमें निरोग मनुप्यक्के टिये वे सहजप्रयोग छिसे हू कि, वह कभी बीमारी नहो ओर रोगी सेकित्सा करनेपर तत्शाठऊ निरोग हो | बैद्यमातत्नो यह अन्य अपन्य संग्रह करना चाहिये। पहलेसे अबफ्ीवार बहुत वटा होगया “ है जिमतती झुन्दर मुनहरी दो जिन्द बन्धी है... «५ न«»न ह गए ०» से ९-० ब-क




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