श्री राधा माधव चिन्तन | Shree Radha Madhav Chintan

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Shree Radha Madhav Chintan by हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रीराधा ष््‌ * नन्‍दन श्रीकृष्ण मुग्ध हो जायेंगे | महेश्वरि ! माता ! मुझ शरणागत तथा प्रणत भक्तके डिये दया करके तुम अपना खरूप प्रकट कर डो ॥ः यों मिविटन करके नारठजीने तदर्पित चित्तसे उस महानन्दमंग्री परमेश्वरीफो नमस्कार क्रिया और भगवान्‌ गोविन्दकी स्तुति करते दृए वे उम देवीफी ओर ही देखते रहे | जिस समय वे श्रीक्रष्णफा नाम-की्ेन कर रहे थे, उसी समय भानु-सुताने चतुदंशवर्षीय, परम छावण्यमय अत्यन्त मनोहर दिव्य रूप धारण कर लिया | तकाल ही अन्य ब्रजवालाओने, जो उमीयी समान अयस्थाकी थीं तथा दिव्य भूषण एवं सुन्दर हार घारण ऊ्रिये हुए थीं, बाछाकफों चारों ओरसे आबूृत कर लिया | उस समय बाटिकिफी सियाँ उसके ऋणणोडक्ी बूँठोसे मुनिकों सींचफर कृपापूर्वक बोौली--- अहामाग सुनित्रर ! बस्तुत आपने ही भक्तिफे साथ भगवानूकी आरात्रना की है; क्योंकि अह्मा, रद्र आदि दबता, सिद्र, मुनीशर तथा अन्य भगयद्धोक्षोक स्यि मिसका दशन मिठना क्रथ्नि हे, उसी अद्भुत वयोरूपसम्पन्ना विश्वमोहिनी हरिप्रियाने किसी अचिन्य सेभाग्ययग आज आपके दृष्टिपयपर पदापण झ्रिया है | ब्रह्मप ! उठो, उदो, शीघ्र ही थैय घारणकर इसकी परिक्रमा तथा वार-बार इसे नमस्कार करो । क्या तुम नहीं देखते फ्ि इसी क्षणमें यह अन्तर्थान हो जायगी, फ़िर इसके साथ जिसी तरह तुम्हारा सम्भाषण नहीं हो सकेगा । उन प्रेमविहछा सवियोके बचन सुनकर नारदजीने दो मुहननऊक उस सुन्दरी बालाकी प्रदक्षिणा करके साश्टाड़ प्रणाम किया | उसके बाद भानुफो बुठ्ाकर कद्दा---6तुम्हारी पुत्रीफा प्रभाव वहुंत बडा है। देयता भी इसका महत्त नहीं जान सकते | जिस घरमें इसका चरण-चिद्र हे, वहा स्व भगयान्‌ नारायण निवास करते हैं और समस्त मिद्वियोसद्वित रक्ष्मी भी बदाँ रहती हैं | आजसे सम्पूण आभूषणोसे भ्ग्रित इस सुन्दरी कल्याडी महादेवीके समान यत्नपूृवफ घरमें रक्षा करो | ऐसा फहकर भारठजी हस्गुण गाते हुए चले गये । ००0८




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