पारिजातसौरभम् | Parijaat Saurabham
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
353
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पार्रिजातसौरमकी विपयसची
प्रथम सर्य -- कारणएद्म निवास वरत हुए मद्ामा्नीके पास
भारतके अंग्रेजी स्जारने एक भाषण भेजा । उसमें सन् १५४२ ई० के
भारतमे हुए दपद्रवोका दोष महामाजीपर आर काग्रेसपर आगेषित
हुआ था । उसीझा उत्तर 1
द्वितीय सर्ग -- उपयुक्त दोपारापणका ही उत्तर !
ठतीय सगे -+ जगदम्बा श्रीकरत्रवादा परघाम प्रयाण ।
खतुर्थ सम -- श्री मद्ामाज़ीफी काएएहस सुक्ति ) संटेफई
किससे दिल्लीम भेंट । नवाखलीमे मुसलमान उपदवकों शान्तें कानेक्रे
डिये प्रयाण । कछकत्ताम विल्म्य ।
पश्चम सर्ग -- कठझतास चलकर रामपुर ( बंगाड़ ) में पहुंचना ते
बहा भाषण ।
पष्ट सर्ग --वहां दिन्दुं को उपदेश । मुहम्मद साहब शब्दों-
द्वारा मुसंत्मानाओं उपदेश । दाल्तापुरम वक्षेझे एक जमीनदार्राग
मदात्माजीयों भूमि-समर्पण ।
सप्तम सर्ग -- 3मारी श्रीमनुगावीजीकों गीताड़ा पढ़ानो ।
अष्टम सर्ग --हिन्दू-सुसलमानोंकों उपदेश । हिन्दु गत्री दा
पणन जिसे मद्दामाजीने यात्राक लमे देखा था। ५
नवम सर्य -- थ्री० दुसारी मनुगवीतों आगे करने सर जनताझा
उपदेश । आमरी गयमें मद्रामात्रीका सूर्टित द्वोना। रामनाशमणाम्थ 1
सतस्त्रवादिवो साक्ते अवसरपर प्रिस्गे झग्त्का उदास अस्वीक्ृत !
बशम खर्ग -- ठा० महमूब्सयदरें प्मसे, मद्ामार्त का, डिडारमे
ख्रद्ठ बने हुए दिन्दुआदी शान्तिकेरिये, विद्वास्मे आगमन । पद्ने
+
हे
नै
User Reviews
No Reviews | Add Yours...