पारिजातसौरभम् | Parijaat Saurabham

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Parijaat Saurabham by महात्मा गाँधी - Mahatma Gandhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पार्रिजातसौरमकी विपयसची प्रथम सर्य -- कारणएद्म निवास वरत हुए मद्ामा्नीके पास भारतके अंग्रेजी स्जारने एक भाषण भेजा । उसमें सन्‌ १५४२ ई० के भारतमे हुए दपद्रवोका दोष महामाजीपर आर काग्रेसपर आगेषित हुआ था । उसीझा उत्तर 1 द्वितीय सर्ग -- उपयुक्त दोपारापणका ही उत्तर ! ठतीय सगे -+ जगदम्बा श्रीकरत्रवादा परघाम प्रयाण । खतुर्थ सम -- श्री मद्ामाज़ीफी काएएहस सुक्ति ) संटेफई किससे दिल्लीम भेंट । नवाखलीमे मुसलमान उपदवकों शान्तें कानेक्रे डिये प्रयाण । कछकत्ताम विल्म्य । पश्चम सर्ग -- कठझतास चलकर रामपुर ( बंगाड़ ) में पहुंचना ते बहा भाषण । पष्ट सर्ग --वहां दिन्दुं को उपदेश । मुहम्मद साहब शब्दों- द्वारा मुसंत्मानाओं उपदेश । दाल्तापुरम वक्षेझे एक जमीनदार्राग मदात्माजीयों भूमि-समर्पण । सप्तम सर्ग -- 3मारी श्रीमनुगावीजीकों गीताड़ा पढ़ानो । अष्टम सर्ग --हिन्दू-सुसलमानोंकों उपदेश । हिन्दु गत्री दा पणन जिसे मद्दामाजीने यात्राक लमे देखा था। ५ नवम सर्य -- थ्री० दुसारी मनुगवीतों आगे करने सर जनताझा उपदेश । आमरी गयमें मद्रामात्रीका सूर्टित द्वोना। रामनाशमणाम्थ 1 सतस्त्रवादिवो साक्ते अवसरपर प्रिस्गे झग्त्का उदास अस्वीक्ृत ! बशम खर्ग -- ठा० महमूब्सयदरें प्मसे, मद्ामार्त का, डिडारमे ख्रद्ठ बने हुए दिन्दुआदी शान्तिकेरिये, विद्वास्मे आगमन । पद्ने + हे नै




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