राष्ट्ररत्नम् | Rashtraratnam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निवेदनम्
इंद॑ “राष्ट्रस्मम्” मुक्तककाव्य सहृदयपाठकाना सेवाया प्रस्तुतमस्ति । चिर-
कालादियमिच्छा5प्मीद् यत् सस्कृतभाषाया गेयबृत्तेपु स्वराज्यस्य देवाना राष्ट्र-
रत्ताना पावन जीवन सक्षेपण लिखेयम् । प्रभो प्रेरणया:नुग्रहेण च मम्ायममि-
लाप परिपूर्णोउ्भवत् । महाकाव्यस्य चैपधस्थ पक्तिभिराभिरह प्रेरितो3भवमु--
“वागूजन्म वैफल्यमसह्मशल्य गुणाधिके वस्तुनि मोनिता चेतू “अतोःह” नैपधस्य
भहावाव्यस्य रचमितार महाकवि ह॑ प्रति हादिवी श्रद्धा प्रकटी करोमि।
अस्य काव्यस्य लेखनस्य प्रोत्साह यद्यपि महायमनेवे सहृदया विद्वासो दत्त-
बन््त , पर तेपु कविरत्न श्री प्रमुदत्त स्वामी-श्री अमीरचद्द शास्त्री इत्येती
विशेषत उत्लेखनीयो स्त । इसमो सत् समालरोचकी भूवा अ्रस्य काव्यस्थ सशोधन
कृतबन्तौ । अतस्ताम्या मे नतिततय सश्रद्ध विलसन्नुतराम् । श्री तिपाठी सुधाकरा-
चार्या ग्पि में संत्नेररत सन्ति ये स्ववीय “वतत” नाम्नि मासिकपत्रे सस
कावध्यस्य कतिपययाव्याशान् प्रकाश्य मेरठ विश्वविद्यालये च मामाकार्य स्वकीय
बवितफ़ाबण्स्पादि सछ्तमदसर प्रदाय मह्पुत्साहरम्मस्थ कुलबन्त । अत
सुधाकराचार्या महाउुभावा में घन्य वादाह्ा । महान् हपविषयो5स्ति यत् “शिक्षा
तथा समाजकत्माणभन््रालय शिक्षा विभाग भारत सरकार” प्रस्य काव्यस्य
प्रवाशने मह्य पष्दि प्रतिशत द्रव्यप्रदानस्य घापणा बृतवान् 1
अस्प वाव्यस्य प्रकाशका श्री रतिराम शास्त्रिण मयराप्ट्रस्थितसाहित्य
भडाराधष्यक्षा श्रपि च॒ तत्तनूजी “राजविशोरसतीशबुमार शर्माणों चापि मं
शतशोधन्यवादा्ाँ सन्ति । ये स्वकीयोदारतया सस्दृतसाहित्यस्य प्रेम्णा च॑
मह्ममाश्नय प्रदाय काव्यमिद प्रकाशितवन्त ।
एपाँ महानुभावाना ग्रुणग्राहकर्ता वीक्ष्य वस्यापि कक््वरिद्र सुभाषित झ्मयते
मया--“नांगुणी ग्रुणिन वेत्ति, गुणी ग्रुणिपु मत्सरी । गुणी च, गुणरागी च विरल
सरलो जन ”
ग्रन्ते च ममैप मभनो:भिलापो यदिद राष्ट्रभक्तिपृर्ण मुक्ततकाव्यमधीत्य
पाठवा भारतराष्ट्रस्य जायहूका. प्रहरिणों भवेयुरिति 1
वाध्यमिद बीहशमस्ति अस्य मूल्यांकन तु सतूकाव्यमर्मना एवं करिप्यन्ति 1
“झ्रापरितोपाद विदुर्पां न साधु मन्ये-प्रयोग विज्ञानम् ॥
विदुपा वश्नवद
६ ११. ७३ यजेश्वर (धास्त्री)
थ मवजीवन क्सिद कालिज
मवाना (मेरठ)
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