सचित्र महाभारत भाषा - टीका भाग - 5 | Sachitra Mahabharat Bhasha Tika Bhag - 5

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सचित्र महाभारत भाषा - टीका भाग - 5  - Sachitra Mahabharat Bhasha Tika Bhag - 5

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about माधव शास्त्री भण्डारी - Madhav Shastri Bhandari

Add Infomation AboutMadhav Shastri Bhandari

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
विषयानुक्रमणिका । अध्याय विषय प््ष्ठ | अध्याय विषय * पृष्ठ ११०, ऋष्यश्वग के उपाझ्यान का आरम्म १९७३-१९८० १११,बेश्या आर ऋषिकुमार ऋष्यश्रृज्ञ की बातचीत | १०८०-१९८३ ११२, ऋष्यशृज्ञ और विमाण्डक ऋषि की बातचीत 1 १९८३-१९८६ ११३, ऋष्यशक् का लोगपाद राजा के ग़ज्य में जाना । १०८६-१९९० | ११४, पाण्डवों का अन्य अनेक तीर्थोंकी यात्रा करना । १९९०-१९९१४ ११५ पाशुरामजी के उपाएयानका जारम्म १९९४-२००० ११६, परशुगमका पिताकी आश्ञाप्ते अपनी माता रेणुका को मार डालना | २००१-२००३ ११७. परशुरागजी का क्षात्रियकुछ को नष्ट काना | २००४-३००६ ११८, पाण्डवों का प्रभास त्तीर्थ फो जाना आर वहा फ्ृष्ण-बल्देव से भेंट होना २००६-२००९ ११०, बलदेवजी की बातचीत । २००२-२०१२ १२०. साध्यडी, श्रीकृप्ण और युपिप्ठिर को बातचीत । १२१. राजा नृग का उपरयान | १३३, च्यचन ऋषि का उपाख्यान । १२३. मर्टाँ च्ययन का युशवम्या को प्राप्त होना । १३४. च्ययन ऋषि का इन्द्र के द्वाथ को निडम्मा कर देना । १२५, इन्द्र की प्रार्थना से टन पर मुनि | प्रक्तत् होना । २०१३-२०१७ २०१८ २०२१ २०२१-२०२४ दुण्ग जल्द कद ८ २०२८ २०३१ २०२१-२०३४ १२६, राजा मान्धाता का उपास्यान | २०३७०-२०४० १२७ सोमक राजा का उपारयान | ३०४०-१०४३ १२८. राजा सोमक की गुरुभक्ति का चर्णन २०४३ ०२०१४ ६ १२९, पाण्डबों का अनेक तीर्थों की यात्रा करना | २०४६-२०४० १३०. अनेक तीथों के माहात्म्य का कीतन आर उद्यीनर राजा के उपाख्यान का आरम्भ । २०४९-२०५२ १३१, ग्राम और राजा उश्लीनरक्रा सवाद | ३२०५३ २०५७ ५६३२. अष्टाबक्र ऋषि का उपाह्यान | २०५७ २०६० १३३ द्वाप्पाल और अष्टावक्र का सचाद। २०६१ २०६५ १३४. अष्टावक्र और बन्दी का संवाद | २०६५-२०७१ १३५, यवक्रीत के उपारयान का आरम्भ 1 २०७२-२०७०, १३१६, यवक्रीत की मृत्यु 1 २०८० २०८२ १३७, भरद्वाजका बिलाप और प्राणस्याग 1 २०८२-२०८५ १३८, रैम्य की मृत्यु । रेम्य, मरद्वाज और यवक्लीत का फिर जी उठना । १३९, गद्नाजी की स्तुति और मन्दराचल में प्रथश करने की कल्पना करता | २०८०-२ ००१ १४०. गन्धमादन पर्वत पर जाना | सीममेन और युधिष्ठिर की बातचीत । १४१, युभिष्ठिर का अजजुन के लिए सन्‍्ताप र०८ट्५-२०८८ रण्पए-रग्प५ क्ष्स्ना | र्‌००७-२००८ १०२. नरक्ासुर का उपाग्यान और बराह अवतार का वर्णन | २००९-२१०६ १०३. पाण्टवो का आधी मे विकल् द्वोना 1 २१ ०७-२ १००, १४४. द्रीपदी के मोदित दाने पर युपिष्ठिर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now